आतंकी के महिमामंडन का बीजेपी ने विरोध किया, लेकिन आतंकवादियों को जेल में मालिश की सुविधा देने वाली डीएमके सरकार ने इसे नजरअंदाज किया और विरोध प्रदर्शन करने वालों को ही हिरासत में ले लिया।
एस ए बाशा नाम के आतंकी को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग पहुँचे। उसे किसी 'हीरो' की तरह विदाई दी गई, जबकि उसके संगठन ने तमिलनाडु को कई बार आतंकी हमलों का दर्द दिया।
मद्रास हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 16(5) के तहत आता है, जो धार्मिक संस्थानों को उनके धर्म के आधार पर नियुक्ति करने की छूट देता है।