Sunday, November 17, 2024
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पराली जलाने की घटनाएँ पंजाब में 6 गुना अधिक फिर भी दिल्ली में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हरियाणा, ये है केजरीवाल सरकार का गणित: झूठ का माहौल बनाने में जुटी AAP 

भले ही AAP दिल्ली और पंजाब दोनों जगह हैं सत्तारूढ़, उसमें से पंजाब में पराली जलाना अपने चरम पर है तो दिल्ली में  जहाँ की AQI वर्तमान में 426 है। लेकिन दिल्ली की ख़राब हवा और प्रदूषण के लिए आम आदमी पार्टी समय-समय पर भाजपा शासित हरियाणा सरकार पर हमला करती रही है।

भले ही पंजाब में खेतों में पराली जलाने की घटनाएँ केवल 24 घंटों में ही 2,000 का आँकड़ा क्यों न पार कर गई हो, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) सोशल मीडिया पर एक्स (ट्विटर) पर यह माहौल बनाने में लगी है कि 2022-23 में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 55 प्रतिशत की कमी आई है। खासतौर से पंजाब में कथित तौर पर 65.6 प्रतिशत खेतों में आग लगने की घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जबकि हरियाणा में 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई हैं।

हालाँकि, आप के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने पुलिस और प्रशासन को पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। फिर भी पंजाब सरकार के आँकड़ों को ही माने तो पता चलता है कि राज्य के 21 जिलों में खेतों में आग लगाने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।

संगरूर में किसानों द्वारा 8 नवंबर को खेत में आग लगने के 466 मामले दर्ज किए गए जिससे कुल संख्या 4,070 हो गई, जो सभी जिलों में सबसे अधिक है। वहीं लुधियाना में 8 नवंबर को 96 मामले दर्ज किए गए, जिससे खेत में आग लगाने की कुल संख्या 1,089 हो गई। दक्षिण मावला में 24 घंटों में खेत में आग लगने के 861 मामले दर्ज किए गए, जिसमें बठिंडा, फरीदकोट, मनसा, फिरोजपुर, मुक्तसर, मोगा और फाजिल्का शामिल हैं।

इससे पंजाब में खेतों में आग लगाने की कुल संख्या 22,981 हो गई है। इस बीच, हरियाणा सरकार ने 2022 की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 38 प्रतिशत की कमी दर्ज की है। पिछले दो वर्षों में, हरियाणा ने पराली जलाने की घटनाओं में 57 प्रतिशत की कमी दर्ज की है।

इसकी बड़ी वजह यह है कि भाजपा शासित राज्य हरियाणा ने खेत में आग के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, 1,256 चालान काटे गए हैं और 32.55 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। 72 एफआईआर दर्ज की गईं और 44 आग बुझाई गईं।

इसके अलावा, हरियाणा सरकार ने पराली जलाने को पूरी तरह से समाप्त करने के उद्देश्य से एक नई नीति की घोषणा की है। ‘हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी 2023’ का लक्ष्य टिकाऊ ऊर्जा के लिए धान की पुआल का उपयोग करना और 2027 तक फसल अवशेष जलाने को खत्म करना है।

हरियाणा सरकार ने किसानों को सब्सिडी पर 19,141 लाख फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें मंजूर की हैं। 940 लाख एकड़ क्षेत्र को 1,000 रुपए प्रति एकड़ के प्रोत्साहन के लिए पंजीकृत किया गया है।

इसके अलावा, राज्य सरकार ने कथित तौर पर 30 नवंबर तक या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जीआरएपी चरण को रद्द किए जाने तक तत्काल प्रभाव से गुरुग्राम और फरीदाबाद में बीएस-III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल एलएमवी (4-पहिया) पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

नासा के फायर इंफॉर्मेशन फॉर रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (एफआईआरएमएस) की सैटेलाइट इमेजरी में पंजाब को लाल बिंदुओं से ढका हुआ दिखाया गया है, जो राज्य में खेत की आग के गंभीर स्तर को दर्शाता है, जबकि हरियाणा में यह काफी कम दिखाई दे रहा है। सैटेलाइट इमेजरी में दर्ज डेटा पिछले 24 घंटों का है।

फिर भी, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में खतरनाक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्तर के लिए हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया है। भले ही AAP दिल्ली और पंजाब दोनों जगह हैं सत्तारूढ़, उसमें से पंजाब में पराली जलाना अपने चरम पर है तो दिल्ली में  जहाँ की AQI वर्तमान में 426 है। लेकिन दिल्ली की ख़राब हवा और प्रदूषण के लिए आम आदमी पार्टी समय-समय पर भाजपा शासित हरियाणा सरकार पर हमला करती रही है जो असली वजह है उससे मुँह मोड़ती रही है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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