तृणमूल कॉन्ग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा द्वारा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और पूर्व पार्टनर जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ दायर किए गए मानहानि के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। जय अनंत देहाद्राई और निशिकांत दुबे ने महुआ पर ‘कैश फॉर क्वेरी‘ के आरोप लगाए थे जिसके जवाब में महुआ ने मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।
महुआ ने इस मामले में कोर्ट से माँग की थी कि जय अनंत और निशिकांत दुबे को उनके खिलाफ आरोप लगाने से रोका जाए। उन्होंने इस मामले में पहले मीडिया संस्थानों को भी लपेटा था लेकिन बाद में उनका नाम हटा दिया था। निशिकांत दुबे और जय अनंत के वकीलों ने कोर्ट के सामने महुआ के खिलाफ कुछ सबूत भी पेश किए हैं।
दरअसल, निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्राई ने टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा पर दुबई में रहने वाले कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे गिफ्ट लेकर अडानी समूह के विरुद्ध संसद में प्रश्न पूछने के आरोप लगाए थे। इसको लेकर निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिख कर महुआ पर कार्रवाई की माँग की थी।
महुआ के खिलाफ यह जाँच संसद की आचार समिति को भेज दी गई थी। आचार समिति ने महुआ को अपनी जाँच में दोषी पाया था। इसीके बाद 8 दिसम्बर, 2023 को महुआ को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है।
महुआ ने यह आरोप सामने आने के बाद निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्राई को कोर्ट में खींचा था। इसी मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट कर रहा था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या महुआ और हीरानंदानी के बीच कोई लेनदेन हुआ था।
इस पर इन दोनों के वकीलों ने कोर्ट के सामने आचार समिति की बातें रखी। उन्होंने कहा कि आचार समिति ने महुआ को गिफ्ट लेने का दोषी पाया है। कोर्ट ने दोनों के वकील से आचार समिति की रिपोर्ट लाने को कहा है।
वहीं महुआ के वकील का कहना था कि हीरानंदानी से गिफ्ट महुआ ने इसलिए लिए क्योंकि दोनों दोस्त हैं ना कि हीरानंदानी को अडानी के खिलाफ प्रश्न पुछवाने थे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले में महुआ को राहत पर निर्णय सुरक्षित कर लिया। हालाँकि महुआ को अभी कोई राहत नहीं मिली क्योंकि कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया।