असली-नकली शिवसेना वाले विवाद पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने विधानसभा में 1200 पन्ने के फैसले के मुख्य बिंदु रखे। उन्होंने 34 याचिकाओं की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है। इस मामले में शिंदे गुट के 40 विधायकों और ठाकरे गुट के 14 विधायकों की सदस्यता पर फैसला लिया। मुख्य मामला शिंदे गुटे 16 विधायकों की सदस्यता का था, जिसके बाद अब पूरा फैसला आ चुका है। राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट का जिक्र किया और चुनाव आयोग के फैसले को भी आधार बनाया। ऐसे में शिवसेवा के शिंदे गुट के सभी विधायकों की सदस्यता बच गई है। उन्होंने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना बताया। उन्होंने इस फैसले के लिए ‘असली शिवसेना’ की पहचान को भी अहम बताया था।
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 21 जून, 2022 के हिसाब से शिंदे गुट को असली शिवसेना माना है और उद्धव गुट की सभी दलीलों को खारिज कर दिया है। राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिंदे गुट की तरफ से पार्टी व्हिप की नियुक्ति सही थी। इस फैसले के साथ ही एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की कुर्सी तो बची ही है, शिंदे का मुख्यमंत्री पद भी बरकरार रहेगा।
शिवसेना पार्टी के संविधान को लेकर राहुल नार्वेकर ने फैसला देते समय सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के फैसले को सामने रखा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों ने पार्टी के अलग-अलग संविधान को रखा था। वहीं, चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को मानने से मना कर दिया था, इसी आधार पर राहुव नार्वेकर ने भी फैसला सुनाया। उन्होंने शिवसेना के 1999 के संविधान को ही आधार बनाकर फैसला दिया और शिंदे गुट को असली शिवसेना माना है। राहुल नार्वेकर ने कहा कि 21 जून, 2022 को ही पार्टी का विभाजन माना जा सकता है। राहुल नार्वेकर ने एकतरफा तरीके से एकनाथ शिंद को पार्टी से निकालने को भी गलत माना, जो कि उस समय के पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की तरफ से किया गया था।
Shiv Sena MLAs' disqualification case | Maharashtra Assembly Speaker Rahul Narwekar observes, "There is no consensus on the constitution submitted by both the parties (two factions of Shiv Sena) to the EC. The two parties have different points of views on leadership structure.… pic.twitter.com/4YE4gzeecZ
— ANI (@ANI) January 10, 2024
महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को ये फैसला लेना था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को हर हाल में 31 दिसंबर, 2023 तक फैसला लेने के लिए कहा था, लेकिन 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 10 दिनों की आखिरी मोहलत दी थी। इसी के बाद 10 जनवरी को ये फैसला आया है। इस मामले में स्पीकर ने शिवसेना के दोनों गुटों के विधायकों की सुनवाई पूरी कर ली थी। उन्होंने पहले कहा था कि दोपहर में ही फैसला आ जाएगा। फिर ये समय शाम को 4 बजे का तय हुआ और आखिरकार देर शाम इस मुद्दे पर फैसला आया।
करीब 18 माह पहले एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर दी थी। शिंदे गुट के विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस मामले में राहुल नार्वेकर के पास शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता पर फैसला सबसे पहले करना था। इस मामले में दोनों तरफ से 34 याचिकाएँ दायर की गई थी, जिन्हें 6 हिस्सों में बाँट दिया गया था। इसमें से 4 हिस्से शिवसेना के उद्धव ठाकरे के ग्रुप की तरफ से दाखिल गए हैं, तो 2 हिस्से शिंदे गुटे की तरफ से थे।
बता दें कि चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और सिंबल शिंदे गुट को दे दिया था। चुनाव आयोग ने शिवसेवा ने साल 1999 के संविधान को ध्यान में रखते हुए फैसला किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अब भी कई याचिकाएँ चल रही हैं।
शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट: एकनाथ शिंदे, संजय शिरसत, अब्दुल सत्तार, लता सोनावाने, भरत गोगावले, संदीपन भुमरे, तानाजी सावंत, यामिनी जाधव, प्रकाश सूर्वे, अनिल बाबर, बालाजी किन्नीकर, संजय रायमुल्कर, बालाजी कल्याणकर और महेश शिंदे, चिमनराव पाटिल, रमेश बोरनारे। इनके अलावा भी कई विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी थी।
शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुटः सुनील प्रभु, रविंद्र वाईकर, सुनील राउत, वैभव नाइक, अजय चौधरी, संजय पटनीस, प्रकाश फाटेरपेकर, रमेश कोरगांवकर, राजन विचारे, नितिन देशमुख, कैलाश पाटिल और राहुल पाटिल। इस गुट के दो विधायकों- आदित्य ठाकरे और रुतुजा लाटके के खिलाफ अयोग्यता का प्रस्ताव नहीं रखा गया था।