मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी का कहना है कि मथुरा श्रीकृष्ण की है और वहाँ भगवान का भव्य मंदिर ज़रूर होना चाहिए। उनसे पूछा गया था कि क्या मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर एक भव्य कृष्ण मंदिर होना चाहिए? अयोध्या में हेमा मालिनी ने ये बयान दिया।
बताते चलें कि 75 साल की अनुभवी अभिनेत्री बुधवार (17 जनवरी, 2024) को यहाँ राम मंदिर समारोह से पहले अयोध्या में ‘रामायण’ की थीम पर एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत करने के लिए मौजूद रही।
सांसद हेमा मालिनी कहना हैं, “यह निश्चित रूप से वहाँ ये होना चाहिए। मथुरा और वृंदावन मंदिरों के शहर हैं। यहाँ बहुत सारे मंदिर हैं, लेकिन वर्षों पहले कृष्ण जन्मस्थान को नष्ट कर दिया गया था। और वहाँ एक मस्जिद बनाई गई थी। इसलिए लोगों को एतराज है।”
उन्होंने आगे कहा कि अच्छा होगा अगर इसका समाधान हो जाए क्योंकि यह भगवान कृष्ण का है। ‘जन्मस्थान’ भगवान कृष्ण की जगह है। वहाँ एक सुंदर मंदिर है। लेकिन अगर कुछ और किया जाए तो बहुत बेहतर होगा।
#WATCH Ayodhya, Uttar Pradesh: On asking if there should be a grand Krishna Temple at Krishna Janmasthal in Mathura, BJP MP Hema Malini says, "It should definitely be there. Mathura and Vrindavan are cities of temples. There are a lot of temples but years ago Krishna Janmasthal… pic.twitter.com/7aBJ9aFcRu
— ANI (@ANI) January 17, 2024
हेमा मालिनी ने विपक्ष के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी का कार्यक्रम कहे जाने को लेकर कहा, “उन्हें विपक्ष में रहते हुए कुछ न कुछ कहना था। वे राम मंदिर का विरोध करने के लिए भी तैयार हो गए। हम सभी भारतीय हैं और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि इससे जुड़ना जरूरी है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह किसने किया। विपक्ष को इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। बकौल हेमा मालिनी, अगर वे नहीं आ रहे हैं तो यह उनका नुकसान है। जो लोग आ रहे हैं उनके लिए यह अच्छा है और जो नहीं आ रहे हैं उनके लिए यह नुकसान है।
बताते चलें कि अयोध्या जन्मभूमि विवाद के बाद, हिंदू समुदाय अब वाराणसी में ज्ञानवापी और मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। कृष्ण जन्म भूमि को लेकर 16 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर स्थित शाही ईदगाह ढाँचे के सर्वे पर रोक लगा दी।
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 14 दिसम्बर, 2023 को फैसला देते हुए इस मामले में एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करके सर्वे की इजाजत दी थी। मुख्य केस में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की माँग की गई है, यह दावा करते हुए कि इसका निर्माण कृष्ण जन्मभूमि पर किया गया था।
इस स्थल को कृष्ण जन्मभूमि घोषित करने वाली एक अन्य जनहित याचिका 2022 में खारिज कर दी गई। याचिकाकर्ता या हिंदू पक्ष का दावा है कि 1618 में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा निर्मित एक मंदिर को मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश के तहत 1670 में शाही ईदगाह मस्जिद के निर्माण के लिए ध्वस्त कर दिया गया था।
फरवरी 1670 का आधिकारिक अदालत बुलेटिन इन दावों का समर्थन करता है। उन्होंने कमल के आकार के स्तंभ की मौजूदगी पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि आमतौर पर ये हिंदू मंदिरों में देखा जाता है। इसके साथ ही मस्जिद परिसर के अंदर हिंदू धार्मिक प्रतीकों और नक्काशी की तरफ ध्यान दिलाया है।
दूसरी तरफ प्रतिवादी शाही ईदगाह मस्जिद समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का तर्क है कि मस्जिद विवादित भूमि के तहत नहीं आती है और ये मंदिर के अस्तित्व से संबंधित दावों पर विवाद की बात हैं।