चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में उन दावों का खंडन किया, जिसमें कहा जा रहा था कि केरल में ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी पाई गई है। वकील प्रशांत भूषण ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केरल के कासरगोड में 4 ऐसी ईवीएम मशीनें मिली, जिसके बारे में बताया गया कि इन मशीनों में एक वोट करने पर अपने आप एक वोट बीजेपी को मिल जा रहा है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब माँगा था, जिसके बाद चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि ये दावे गलत हैं। मनगढंग बातों की कोर्ट में कोई जगह नहीं है। चुनाव आयोग ने कहा कि उनके अधिकारियों ने जाँच में ऐसा कुछ नहीं पाया।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखा। चुनाव आयोग के वरिष्ठ उपायुक्त नितेश कुमार व्यास ने कहा, “केरल की खबरें झूठी हैं। हमें जिला कलेक्टर से इस मामले की जाँच कराई है। इस पर हम अदालत को पूरी रिपोर्ट भी सौंपेंगे।” चुनाव आयोग ने ये बात उस समय कही है, जब सुप्रीम कोर्ट में इस बात की सुनवाई चल रही है कि क्या सभी ईवीएम मशीनों के साथ वीवीपैट जोड़ा जाए और इवीएम के आँकड़ों के साथ ही वीवीपैट की पर्चियों का भी मिलान किया जाए।
बता दें कि गुरुवार (18 अप्रैल 2024) को वकील प्रशांत भूषण ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दावा किया था कि केरल के कासरगोड में मॉक टेस्ट के दौरान ऐसी 4 ईवीएम मशीनें मिलीं, जो हरेक वोट के साथ एक अतिरिक्ट वोट बीजेपी के हिस्से में डाल रही थी। प्रशांत भूषण ADR नाम के एनजीओ की तरफ से कोर्ट में बहस कर रहे हैं।
प्रशांत भूषण के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से जानकारी माँगी थी। सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के उपायुक्त ने बताया कि ईवीएम और वीवीपैट किस तरह से काम करती हैं। उन्होंने कहा कि ईवीएम बनाने वालों को ये नहीं पता होता है कि कौन सा बटन किस पार्टी को दिया जाएगा और कौन सी मशीन किस राज्य में जाएगी।
चुनाव आयोग ने कहा कि याचिकाएँ सिर्फ आशंका हैं, और कुछ नहीं है। वीवीपैट सिर्फ एक प्रिटिंग मशीन है और सिंबल मशीन में अपलोड किए जाते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि आपने कहा कि वीवीपैट केवल एक प्रिंटर है। सिंबल का डेटा किस यूनिट में अपलोड किया जाता है? सुप्रीम कोर्ट में मौजूद ईसीआई अधिकारी ने डायस लेते हुए कहा कि मैं चुनाव योजना को देखता हूँ। मैं जो भी कह रहा हूं अधिकारपूर्वक कह रहा हूँ। मतपत्र इकाई केवल बटन नंबर बताती है। 3 दबा दिया गया है। बटन इकाई उम्मीदवारों के लिए तय नहीं है। कंट्रोल यूनिट में कुछ भी लोड नहीं है। हर एक मशीन में बटन नंबर अलग होता है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए। लेकिन किसी को भी इस बात पर कोई आशंका नहीं होना चाहिए कि कुछ गलत हो रहा है।’ इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 5 घंटे तक बहसों को सुना और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
बता दें कि वीवीपैट एक तरह की स्वतंत्र सत्यापन प्रणाली होती है, जिसमें मतदाता ये देख पाता है कि उसका वोट सही तरीके से पड़ा है या नहीं, साथ ही वो ये भी जान सकता है कि उसने वोट जिसे डाला है, वो भी उसी को गया है या नहीं। किसी विवाद की स्थिति में वीवीपैट की पर्चियों का भी मिलान किया जाता है। अभी के नियम के हिसाब से हर विधानसभा क्षेत्र में 5 वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर पर्चियों का मिलान किया जा सके।