पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की से निकाह करने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति की अग्रिम जमानत अर्जी ख़ारिज कर दी है। 15 साल की लड़की से निकाह करने वाले आरोपित ने इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से सही ठहराने की कोशिश की थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपित पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई जायज है क्योंकि उसने जून 2023 में 18 साल से कम उम्र की लड़की से निकाह किया है। यह फैसला मंगलवार (2 अप्रैल, 2024) को सुनाया गया है।
‘लाइव लॉ’ के मुताबिक, हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस हरप्रीत कौर की बेंच में हुई। आरोपित ने जून 2023 को 15 साल की एक लड़की से निकाह किया था। तब लड़की के पिता ने आरोपित पर FIR दर्ज करवाई थी। शिकायत में पीड़िता के पिता ने आरोपित पर अपनी बेटी को घर से बोलेरो वाहन में अपहरण कर के ले जाने का आरोप भी लगाया था। पुलिस ने यह FIR अपहरण और IPC की अन्य धाराओं के अलावा पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया था।
फरवरी 2024 में पुलिस ने पीड़िता को बरामद कर लिया था। तब पीड़िता का मजिस्ट्रेट के आगे 164 का बयान हुआ था। पीड़िता ने अपने माता-पिता के साथ घर जाने से इनकार कर दिया था। आखिरकार लड़की की उम्र देखते हुए उसे पंजाब सरकार के चिल्ड्रन होम में भेज दिया गया। पढ़ाई के कागजातों में लड़की की जन्मतिथि 2008 निकली। हालाँकि अपने बचाव में आरोपित ने पीड़िता का एक निजी डायगोनस्टिक सेंटर से मेडिकल परीक्षण भी करवाया था। इस रिपोर्ट के हवाले उसने पीड़िता के बालिग होने का भी दावा किया था।
तब से आरोपित फरार चल रहा है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। इसी गिफ्तारी से बचने के लिए आरोपित ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की। 2 अप्रैल को मामले की सुनवाई हुई। आरोपित ने अपना वकील मोहम्मद सलीम को किया था। सरकार की तरफ से एडवोकेट हिमानी अरोड़ा ने बहस की। लड़की के पिता ने भी बिक्रमजीत सिंह को अपना निजी वकील बना कर खड़ा किया और आरोपित की जमानत अर्जी का विरोध किया।
एडवोकेट मोहम्मद सलीम ने उस केस का जिक्र करना चाहा जिसमें कभी पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने ही मुस्लिम लड़की के वयस्क हो जाने पर उसे निकाह की छूट दी थी। साथ ही उन्होंने आरोपित की तरफ से 15 साल की लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक जायज करार दिया। दोनों पक्षों की बहस सुन कर आखिरकार न्यायमूर्ति हरप्रीत कौर ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने आरोपित को अग्रिम जमानत जैसी राहत देने से साफ़ इंकार कर दिया।
अपने फैसले में अदालत ने साफ कहा कि लड़की की उम्र 15 साल होने की वजह से आरोपित पर पॉक्सो एक्ट की धारा के तहत हुई कार्रवाई जायज है। लड़की की उम्र के सबूत के तौर पर भी कोर्ट ने पीड़िता के पिता द्वारा पेश किए गए पढ़ाई के सर्टिफिकेट को सही माना है। आरोपित द्वारा प्राइवेट डायगोनस्टिक संस्थान द्वारा पेश किए गए मेडिकल रिपोर्ट को अदालत ने विचार करने योग्य नहीं माना।