शॉर्ट वीडियो एप TikTok पर एक वीडियो खासा वायरल हो रहा है, जिसमें खुद को चायनीज बताने जाने पर कुछ सिंगापुर के नागरिक भड़के हुए नज़र आ रहे हैं। चीनी मीडिया कह रहा है कि वो अपने जड़ों को भूल गए हैं। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना है कि ये 2 अलग-अलग पहचान हैं, इन्हें मिलाना ठीक नहीं। चीन से आए एक व्यक्ति ने वीडियो में कहा कि वो इससे हैरान है कि सिंगापुर के लोग चीन की मुख्य भूमि से खुद को जोड़े जाने को लेकर उदासीन थे, साथ ही उन्होंने खुद को चीन से ‘हमवतन’ मानने से भी इनकार कर दिया।
उक्त चीनी नागरिक का कहना है कि सिंगापुर के लोग अपनी संस्कृति को भूल गए हैं। साथ ही उसने सिंगापुर को चीनी बहुसंख्यक वाला देश करार दिया। 36 सेकेण्ड के उक्त वीडियो पर हजारों कमेंट्स और लाखों व्यूज आ रहे हैं। कई वर्षों से इस पर चर्चा चलती रही है कि सिंगापुर सांस्कृतिक रूप से चीन का हिस्सा है या नहीं। वैसे साम्राज्यवादी चीन हर इलाके पर अपना दावा किसी न किसी बहाने ठोकता रहा है। ‘The Singaporean Son’ नामक TikTok यूजर ने बताया कि सिंगापुर के एक चीनी व्यक्ति ने ‘हमवतन’ कहे जाने पर कैसी प्रतिक्रिया दी।
उसने बताया, “मुझे नहीं पता था सिंगापुर के व्यक्ति का चेहरा काला पड़ गया था। उसने कहा – ‘हम कब से हमवतन हैं? मैं सिंगापुरी हूँ, चीनी नहीं।’ इसके बाद मैं दंग रह गया और मैंने ऐसी बातें कहनी बंद कर दी।” एक यूजर का कहना था कि सिंगापुर के चीनी मूल के लोग खुद को चीनी मानते हैं, लेकिन कोई और उन्हें चीनी माने इससे नहीं घृणा है। एक यूजर ने कहा कि बाहर घूमने जाने वाले चायनीज लोगों ने अपनी ख़राब छवि बना रखी है – वो चिल्ला कर बात करते हैं, उनकी आदतें और उनका व्यवहार ठीक नहीं है।
वहीं इस दौरान कुछ लोगों ने ये भी ध्यान दिलाया कि सिंगापुर में जो चीनी मूल के लोग हैं वो चीन मेनलैंड से ताल्लुक नहीं रखते। दोनों के पूर्वज अलग-अलग थे। वीडियो में देखा जा सकता है कि चीन का TikTok यूजर जो सिंगापुर घूमने गया था, वो मंदारिन भाषा न बोल पाने और ट्रेनों पर चीनी भाषा में न लिखे होने के कारण सिंगापुर के लोगों की आलोचना कर रहा है। इस पर कई लोगों ने ध्यान दिलाया कि सिंगापुर में आम संपर्क की भाषा अंग्रेजी है।
विशेषज्ञ कहते हैं सिंगापुर और चीन के संबंधों को लेकर ये चर्चा नई नहीं है। उनका कहना है कि सिंगापुर को लंबे समय तक चीन का हिस्सा होने को लेकर भ्रमित किया जाता रहा है और ये सोच मुख्य रूप से अमेरिकी और यूरोपियन देशों से आती है। इसका कारण बताया जाता है कि दोनों देशों की विरासत में समानता है और सिंगापुर में चीनी बहुसंख्यक हैं। सिंगापुर की जनसंख्या 40 लाख है, जिसका 74% हिस्सा चीनी हैं। 13% मलेशियन हैं और 9% भारतीय।
वहीं 3% यूरेशियन जनसंख्या भी सिंगापुर में रहती है। द्वीपीय देश सिंगापुर उत्तर-पूर्वी एशिया से बाहर अकेला ऐसा देश है, जहाँ एक तिहाई से अधिक जनसंख्या चीनी है। सिंगापुर के लिए ये समस्या भी पैदा करता है। वहाँ की संसद में भी ये मामला उठ चुका है कि चीनी समझे जाने के कारण बाकी दुनिया से उसके रिश्तों पर असर पड़ता है। भाषा और संस्कृति के मामले में सिंगापुर के चीनी मूल के लोग चीन के साथ काम करने में सहज महसूस करते हैं। इससे सिंगापुर-चीन के द्विपक्षीय रिश्ते भी ठीक हुए हैं।
Don’t call us ‘Chinese’: Singapore TikTok video sparks debate over roots https://t.co/1e4olxGiyU
— South China Morning Post (@SCMPNews) May 10, 2024
चूँकि सिंगापुर एक अलग स्वतंत्र देश है, इसीलिए अगर वहाँ के लोगों को किसी अन्य देश से जोड़ा जाएगा तो उन्हें बुरा लगेगा ही। TikTok के CEO चिउ शोउ ज़ी से अमेरिका में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से उनके कनेक्शन को लेकर पूछताछ हो चुकी है। उनसे उनकी राष्ट्रीयता को लेकर भी सवाल किए गए। अमेरिकी के एक सीनेटर ने कहा कि सिंगापुर में चीन की सबसे ज्यादा घुसपैठ और प्रभाव है। 1990 में सिंगापुर ने चीन के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे और पिछले दशक में चीन इसका सबसे बड़ा कारोबारी पार्टनर रहा है।