बंगलुरु में अपार्टमेंट सोसाइटियों ने ऐसे सभी लोगों को नौकरी पर न रखने का फैसला किया है जो बाद में बांग्लादेशी अवैध प्रवासी निकल सकते हैं। इसके लिए उन्होंने अपने यहाँ घरेलू नौकर, सिक्योरिटी गार्ड समेत कामगार भेजने वाली नौकरी एजेंसियों को निर्देश भेजा है कि उनकी सोसाइटी में बंगाली बोलने वाले लोगों को काम पर न भेजा जाए, क्योंकि बाद में वे अगर बांग्लादेशी निकले तो उन्हें नौकरी पर रखने वाले मालिकों, यानि अपार्टमेंट सोसाइटी के निवासियों, के लिए भी क़ानूनी पचड़े में फँसने की संभावना हो सकती है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार यह निर्णय लेने वाली सोसाइटियाँ मुख्यतः वाइटफ़ील्ड, मराठाहल्ली और इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी में स्थित हैं। यह तीनों इलाके बंगलुरु के टेक कॉरिडोर कहे जाते हैं, जहाँ आईटी इंडस्ट्री के ऑफिस और उन्हीं के आसपास उनमें काम करने वाले लोगों के रिहाइशी इलाके हैं।
In knee-jerk reaction, some Bengaluru apartments ban ‘Bangladeshi’ workers https://t.co/zum4Zjgmfo via @TOIBengaluru pic.twitter.com/9n3hGfCPxH
— Times of India (@timesofindia) November 5, 2019
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह निर्णय बंगलुरु पुलिस की अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद लिया गया है। हाल ही में बंगलुरु पुलिस ने बड़े पैमाने पर धरपकड़ अभियान चलाते हुए बांग्लादेशी अवैध अप्रवासियों को गिरफ्तार कर लिया था।
About 60 illegal immigrants, suspected to be Bangladeshi nationals, were detained by Bengaluru Police on Saturday.#Immigrants https://t.co/dKYKiy01fI
— Deccan Herald (@DeccanHerald) October 28, 2019
फॉरेनर्स एक्ट में मुकदमा दर्ज कर हिरासत में लिए गए अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करने की तैयारी पुलिस द्वारा की जा रही है। पूरी कार्रवाई बंगलुरु पुलिस की क्राइम ब्रांच (सीसीबी, सिटी क्राइम ब्रांच) द्वारा की गई है।
इसके अलावा अवैध अप्रवासियों की समस्या से त्रस्त कर्नाटक सरकार ने और भी कई कदम उठाए हैं, जिनमें कर्नाटक में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स) की कवायद किए जाने की हिमायत और बंगलुरु शहर के लिए खुद की अलग एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) शामिल हैं। राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने इस आशय से घोषणा भी की थी। गौरतलब है कि कर्नाटक के पास पहले से ही एक एटीएस पूरे प्रदेश के लिए है।
कर्नाटक के गृह मंत्री बासवराज बोम्मई ने दावा किया था कि बंगलुरु और मैसूर शहर जिहादी गतिविधियों के केंद्र बनते जा रहे हैं। उन्होंने इन राज्यों में आतंकियों के स्लीपर सेल सक्रिय होने की बात कही थी। उन्होंने जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश संगठन का नाम भी लिया।
अपार्टमेंट सोसाइटियों के इस मौजूदा कदम को लेकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ही रिपोर्ट में यह ज़िक्र है कि बंगाली समुदाय के लोग भी भारतीय बंगाली और बांग्लादेशी में अंतर कर पाने में मुश्किल की बात को स्वीकार करते हैं। इसके अलावा कई सोसाइटियों ने अपनी तरफ से भी संदिग्ध बांग्लादेशियों के बारे में रिक्रूटमेंट एजेंसियों, महानगर पालिका और पुलिस को ईमेल किया है।