राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले के दिल्ली पुलिस ने तीस हजारी कोर्ट में आरोपित बिभव कुमार के खिलाफ 500 पन्नों की चार्जशीट दायर की है। अभी तक आई जानकारी के अनुसार, 100 लोगों से पूछताछ के बाद इस चार्जशीट में 50 लोगों के बयान जोड़े गए हैं जिन्हें गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
गवाहों की लिस्ट में घटना के दौरान मुख्यमंत्री आवास में मौजूद दिल्ली पुलिस के सुरक्षा यूनिट के पुलिसकर्मियों, जाँच से जुड़े पुलिसकर्मी, मालीवाल की मेडिकल जाँच करने वाले एम्स के डाक्टरों व अन्य शामिल हैं। आरोप पत्र में पुलिस ने दावा किया है कि कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। बिभव के ऊपर सबूतों से छेड़छाड़, फोन फॉर्मेट करने, पासवर्ड छिपाने, सीसीटीवी फुटेज मिटाने आदि का आरोप लगा है।
जानकारी के मुताबिक ये चार्जशीट मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गौरव गोयल की अदालत में दाखिल की गई, जिन्होंने बिभव कुमार की न्यायिक हिरासत को 30 जुलाई तक बढ़ाया था। बिभव कुमार इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए और अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि 30 जुलाई को बिभव को फिजिकली वहाँ प्रेसेंट होना होगा।
सुनवाई के दौरान अदालत को अभियोजन पक्ष ने बताया कि पुलिस ने आरोपित के खिलाफ चार्जशीट में आईपीसी की धारा 201 (अपराध के साक्ष्य को गायब करना), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354 बी (महिला का वस्त्र हरण करने के इरादे से उसके खिलाफ बल प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी भी शब्द, हाव-भाव या वस्तु का उपयोग करके महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाना) को जोड़ा है।
स्वाति मालीवाल मारपीट केस
उल्लेखनीय है कि 13 मई को सीएम आवास पर स्वाति मालीवाल से बदसलूकी करने का आरोप बिभव कुमार पर लगा था। स्वाति ने सामने आकर बताया था कि बिभव ने उन्हें छाती, पेट और कमर पर मारा था। इसके बाद बिभव को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था और पूरे मामले में जाँच हुई थी। इस बीच बिभव ने कई बार बेल की गुहार लगाई। हालाँकि कोर्ट ने सबूतों को मिटाने और गवाहों को प्रभावित करने वाले बिंदु पर गौर करते हुए बेल खारिज कर दी। पहली याचिका ट्रायल कोर्ट में 27 मई को खारिज हुई। फिर 7 जून को और आखिरी वाली 12 जुलाई को।