Thursday, December 12, 2024
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हिंदू बन मंदिर आए, ब्लेड से करने वाले थे संत की हत्या… CM योगी ने खोली मुस्लिम युवकों की साजिश, जानिए कैसे मौलाना चला रहे थे इस्लामी धर्मांतरण रैकेट

यह गिरोह 500 परिवारों को बरगलाकर इस्लाम में धर्मांतरित कर चुका था। जाँच में सामने आया कि स्मार्टफोन और कोड-वर्ड के जरिए बच्चों को मानसिक रूप से प्रभावित किया जाता था। इसी मामले में मौलाना कलीम और मौलाना उमर समेत 12 दोषियों को उम्रकैद और 4 अन्य को 10-10 साल की सजा हुई।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरखपुर यूनिवर्सिटी में चल रहे राष्ट्रवादी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के अधिवेशन में शामिल हुए। यहाँ उन्होंने दीपेश नायर को प्रा. यशवंत राव युवा पुरस्कार सम्मान से सम्मानित किया। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने धर्मांतरण के खिलाफ जारी लड़ाई को लेकर नागरिकों के कर्तव्यों पर भी बात की। उन्होंने इस दौरान बाटला हाउस के उस मौलवी और उसके धर्मांतरण रैकेट के बारे में भी बात की, जिसके गिरोह को कुछ समय पहले सजा हुई थी और मौलाना कलीम, मौलाना उमर समेत 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “अभी 3 महीने पहले कोर्ट ने एक कुख्यात मौलवी और उसके साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा इसलिए नहीं दी गई थी कि वो मौलवी था, बल्कि वो छद्म तरीके से धर्मांतरण करता था।” उन्होंने आगे बताया, “घटना 2019-20 की है, मेरे पास रिपोर्ट आई कि संत से मिलने 2 युवक जा रहे थे, जाँच में उनके पास से सर्जिकल ब्लेड निकली। एसपी और डीजीपी से पूछने पर पता चला कि दोनों हिंदू युवक थे। उनके पास 2 इंच की ब्लेड थी, जिससे किसी का गला भी कट जाए।”

उन्होंने आगे बताया, “मैंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वो इतने खतरनाक इरादों से जा रहे लोगों को हल्के में ले रहे हैं। मैंने बैकग्राउंड चेक करने के लिए बोला, तो दोनों बाहर के निकले। एक दिल्ली और एक हैदराबाद। तीसरे दिन पता चला कि वो बाटला हाउस जाते हैं। बाटला हाउस वही जगह है, जहाँ 2008 में एनकाउंटर हुआ था। मैंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि बाटला हाउस जाने वाले युवा हिंदू नहीं है। कड़ाई से पूछताछ में पता चला कि वो हिंदू संत की हत्या करने जा रहे थे। जाँच शुरू हुई, तो बड़ा रैकेट सामने आया, जिसमें मूक-बधिर बच्चे धर्मांतरण के लिए उनके निशाने पर थे।”

सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2 घटनाओं के बारे में बताया। पहली शिकायत गुरुग्राम से आई थी, जिसमें माँ-बाप ने शिकायत की थी कि बच्चा मूक-बधिर था। जो दिल्ली की संस्था में पढ़ाई करता था। उसे जबरन इस्लाम स्वीकार करा दिया गया। दूसरी शिकायत कानपुर से आई थी, जिसमें मूक-बधिर बच्चा उसी संस्था में पढ़ता खा। कोरोना काल में वो घर आया, तो दिन में कुछ नहीं खाता था। रख लेता था और सुबह 4 बजे खाता था। माँ को शक हुआ, जाँच हुई तो पता चला कि वो नमाज पढ़ता था।

योगी आदित्यनाथ ने आगे बताया, “जाँच में पता चला कि बाटला हाश से संचालित संस्था ऐसे बच्चों को स्मार्टफोन देकर बरगला रहा था। वो कोट-वर्ड के जरिए ट्रेनिंग देती थी और धर्मांतरण कराती थी। इसी केस का पर्दाफाश हम लोगों ने किया। उस संस्था ने 500 परिवारों को अपने चंगुल में फंसा रथा था। इसी केस में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई।” 28:20 मिनट से उस घटनाक्रम के बारे में सीएम योगी बता रहे हैं, उसे खुद सुन सकते हैं।

क्या था पूरा मामला, जिसका सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया जिक्र

बता दें कि 11 सितंबर 2024 को लखनऊ स्थित NIA की कोर्ट ने देश में अवैध धर्मांतरण का रैकेट चलाने वाले वाले मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम सहित 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी, इसके अलावा, चार दोषियों राहुल भोला, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, मोहम्मद सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को 10-10 साल की सजा सुनाई थी। NIA-ATS कोर्ट ने इन्हें धारा 417, 120B, 153A, 153B, 295A, 121A, 123 और अवैध धर्मांतरण की धारा 3, 4, और 5 के तहत दोषी पाया

ये सभी दोषी उत्तर प्रदेश एवं अन्य जगहों पर धर्मांतरण का रैकेट चलाते थे। ये लोगों को लालच देकर उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित करते थे। ये दोषी लोगों को उनके मूल धर्म के बारे में भ्रम, नफरत और भय पैदा करके उनका ब्रेनवॉश करते थे। इसके बाद उन्हें इस्लाम की खूबियाँ बताते थे और मुस्लिम बनाते थे। ये यूट्यूब चैनल भी चलाते थे। इन सबको राज्य के अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार किया गया था।

ये गिरोह उन लोगों को अपना टारगेट बनाते थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर और दिव्यांग होते थे। इसके अलावा महिलाएँ भी इनके निशाने पर होती थीं। इनके रैकेट को चलाने के लिए इन्हें खाड़ी सहित दुनिया भर से पैसे आते थे। बहला-फुसलाकर, डरा धमकाकर और दबाव बनाकर धर्मांतरण कराते थे। धर्मांतरण करने के बाद उन पर दबाव बनाया जाता था कि वो और हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराएँ।

यह गिरोह इस बात का भी ख्याल रखता था कि धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बने लोग फिर से अपने धर्म में वापसी ना कर लें। इसके लिए उन्हें विशेष तौर पर ट्रेनिंग दी जाती थी। उन्हें देश के अलग-अलग मस्जिदों एवं मदरसों में रखा जाता था। जो इस्लाम छोड़ने की कोशिश करते, उन्हें धमकी भी दी जाती थी।

मुजफ्फरनगर के रतनपुरी थाना क्षेत्र स्थित फुलत गाँव का कहने वाला कलीम सिद्दीकी पिकेट इंटर कॉलेज से 12वीं करने के बाद मेरठ कॉलेज से बीएससी की शिक्षा ली है। इसके बाद दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने लगा। बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वह इस्लामी स्कॉलर बन गया और इस्लाम का प्रचार-प्रसार करने लगा।

कलीम सिद्दीकी दिल्ली के शाहीन बाग में 18 साल से अपना ठिकाना बना रखा था। मौलाना कलीम सिद्दीकी को 22 सितंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। मौलाना कलीम सिद्दीकी को 562 दिनों तक जेल में रहने के बाद अप्रैल 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। जमानत के दौरान उस पर कई तरह की पाबंदियाँ भी लगाई गई थीं।

सीएम योगी ने दीपेश नायर को किया सम्मानित

सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐसे ही मामलों को लेकर सजगता से काम कर रहे युवाओं को सम्मानित किया। सीएम योगी ने दीपेश नायर को प्रा. यशवंत राव युवा पुरस्कार सम्मान से सम्मानित करते हुए कहा, “आप ही के बीच में छिपे हुए ऐसे लोग, जो छद्म रूप में धर्मांतरण की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को संचालित करते हैं। वो लोग सेवा की सौदेबाजी कर रहे हैं। इस पर रोक लगाना समाज के प्रबुद्ध जनों का, जागरुक नागरिकों का दायित्व बनता है, ये सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि हर जागरुक नागरिक का नाम होना चाहिए। ये काम दीपेश नायर जैसे नौजवानों के माध्यम से कर रहे हैं। मैं दीपेश नायर जैसे युवाओं का सम्मान करता हूँ। आपको प्रा. यशवंत राव युवा पुरस्कार सम्मान से सम्मानित करने से इस सम्मान का गौरव बढ़ा है। छद्म रूप से धर्मांतरण करने वाले लोगों को अपनी संस्था के माध्यम से रोका और रोक रहे हैं। ये सबकी जिम्मेदारी बनती है।”

सीएम योगी आदित्यनाथ अधिवेशन के आखिरी दिन मुख्य मेहमान के तौर पर पहुँचे थे। इस दौरान उन्होंने खुद के एबीवीपी से जुड़ाव को भी याद किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने दीपेश नायर को प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार से सम्मानित किया, जो सामाजिक जीवन में परिवर्तन लाने के लिए उल्लेखनीय काम करने के लिए दिया जाता है। दीपेश नायर ने सैकड़ों दिव्यांगों को उच्च शिक्षा के लिए रास्ता दिखाया है।

बता दें कि 22 नवंबर 2024 से गोरखपुर यूनिवर्सिटी में एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरुआत हुई थी। इसमें 1500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जो देश भर के 44 प्रांतों और मित्र राष्ट्र नेपाल से यहाँ पहुँचे। इस अधिवेशन में शिक्षा, समाज, पर्यावरण, संस्कृति जैसे विषयों पर देश भर से आए विद्यार्थियों, प्राध्यापकों और शिक्षाविदों ने विमर्श किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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