कर्नाटक के उडुपी में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले एक मुस्लिम छात्र दानिश ने एक हिन्दू सहपाठी पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया। ऐसा ना करने पर उसने छात्रा के साथ मारपीट की और उसका यौन शोषण करने की कोशिश की। दानिश ने हिंदुत्व और राम मंदिर पर भी अपमानजनक बातें कहीं। दानिश को अब एक शिकायत के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है।
दानिश खान मणिपाल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई पढ़ता है। पीड़िता हिन्दू छात्रा भी यहीं पढ़ती है। दानिश खान के खिलाफ छात्रा ने पुलिस में FIR दर्ज करवाई थी। उसके खिलाफ 31 अगस्त, 2024 को भारतीय न्याय संहिता की धारा 74, 75 (1), 75 (1) (i), 75 (2), 78 और 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
उडुपी पुलिस के अनुसार, दानिश ने अपने साथ ही पढ़ने वाली एक हिन्दू छात्रा से पहले दोस्ती की और फिर उसे अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। छात्रा ने शिकायत ने बताया कि 22 जनवरी, 2024 को जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हिंदुत्व और प्रभु श्रीराम पर अपमानजनक टिप्पणी की।
11 मार्च, 2024 को दानिश खान जबरन छात्रा के कमरे में घुस आया और उस पर इस्लाम अपनाने और निकाह करने का दबाव बनाने लगा। छात्रा की शिकायत के अनुसार, जब उसने इस्लाम कबूल कर निकाह करने से मना कर दिया तो खान आगबबूला हो गया और मारपीट पर उतारू हो गया।
दानिश खान ने हिन्दू छात्रा के बाल खींच लिए, उसको पीटना चालू कर दिया और उसको गलत तरीके से छुआ भी। दानिश खान ने छात्रा को धमकाया कि अगर उसकी माँगे नहीं मानी तो इसके काफी गंभीर नतीजे होंगे। इसके बाद छात्रा डर गई, दानिश खान यहीं नहीं रुका।
दानिश खान ने छात्रा पर दबाव बनाया कि वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। छात्रा के विरोध के बावजूद दानिश खान लगातार उसको फोन से परेशान करता रहा और उसके अश्लील वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर डाल देने की धमकी भी देता रहा।
छात्रा ने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा कि 28 अगस्त, 2024 तक लगातार दानिश उसे परेशान करता रहा। छात्रा से जब यह मामला बर्दाश्त के बाहर हो गया तो उसने पुलिस से इस मामले में शिकायत की। उडुपी पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद मंगलवार (4 सितम्बर, 2024) को दानिश को दबोच लिया।
इस घटना के बाद स्थानीय हिंदू संगठनों ने दानिश के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है। मणिपाल के एक व्यक्ति ने कहा, “यह केवल व्यक्तिगत उत्पीड़न का मामला नहीं है, यह लोगों के अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से और बिना किसी दबाव के पालन करने के अधिकार पर हमला है।”