Thursday, September 19, 2024
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शेख हसीना को हटाने की 2019 से ही चल रही थी साजिश, बांग्लादेश तख्तापलट में लगी थी कई अमेरिकी एजेंसियाँ: रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले से बताया, डोनाल्ड लू भी था शामिल

IRI चाहती थी कि बांग्लादेश में कोविड महामारी में बड़ा नुकसान हो जिसका फायदा उठा कर शेख हसीना का तख्तापलट किया जाए। हालाँकि, ऐसा नहीं हुआ और इस कारण तब हसीना की सत्ता नहीं गिरी।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने की योजना 2019 में ही बन गई थी। अमेरिका की अलग-अलग एजेंसियाँ इस काम में लगाई गईं थी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन लाने के लिए लाखों डॉलर भी बहाए गए। हसीना की सत्ता पलटने के लिए अमेरिका ने अलग-अलग एजेंसियों का प्रयोग किया।

यह सारे खुलासे अखबार द सन्डे गार्जियन (The Sunday Guardian) को मिले अमेरिकी कागजों से हुआ है। सन्डे गार्जियन की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस पूरी योजना का हिस्सा वह अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू भी था, जो सत्ता परिवर्तन का मास्टर माना जाता है।

अमेरिका की एजेंसियों का हुआ इस्तेमाल

बांग्लादेश में सत्ता बलदने के लिए अमेरिकी एजेंसियों का इस्तेमाल हुआ। यह एजेंसियाँ सरकार से पैसा लेती है। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन का प्रमुख काम करने वाली एक ऐसी ही एजंसी इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टिट्यूट (IRI) है। IRI अमेरिका की USAID और NED नाम की एजेंसियों के लिए काम कर रही थी और उनका उद्देश्य पूरा कर रही थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन दोनों एजेंसियों से पैसा लेकर ही IRI ने बांग्लादेश में अपना काम चालू किया।

IRI ने इसके लिए एक कार्यक्रम चलाया और यह जनवरी 2021 तक चला । IRI ने कहा इस कायर्क्रम का उद्देश्य बांग्लादेश के भीतर उन लोगों को आवाज देना है, जो हसीना की दमनकारी सत्ता के विरुद्ध खड़े हो सकें। IRI ने अपने इस कार्यक्रम में LGBT, बिहारी और बाकी समुदायों के लोगों के समूहों को समर्थन दिया। इसके तहत 77 ‘एक्टिविस्ट’ को ट्रेनिंग भी दी गई। इन लोगों को बड़ी धनराशि भी दी गई। इसका अर्थ यह लगाया जा सकता है कि अमेरिका उन लोगों को अपने पक्ष में बोलने के लिए तैयार कर रहा था जो हसीना का विरोध कर सकें।

IRI ने 2021 में एक और प्रोग्राम चलाया था। इसके लिए उसे अमेरिकी एजेंसी NED से 9 लाख डॉलर की मदद मिली थी। इस कार्यक्रम के तहत IRI ने उन नेताओं को तैयार करने का लक्ष्य रखा था जो आगे जाकर बड़ी आवाज बन सकें। इसके तहत IRI ने बांग्लादेश की कई पार्टियों के लोगों को सहायता करती जिससे वह बड़े पदों पर पहुँच सके। IRI ने अपना एजेंडा बढ़ाने के लिए कई ऐसे लोगों को उन कार्यक्रमों में शामिल करवाया जहाँ अमेरिकी राजनयिक और अधिकारी आते थे।

सत्ता बदलने को सभी को आजमाया

IRI ने बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता गिराने के लिए अलग-अलग संस्थानों का विकल्प सोचा था। एक रिपोर्ट में IRI ने जिक्र किया कि बांग्लादेश की सेना और यहाँ के कारोबारी शेख हसीना की सत्ता पलट सकते हैं। हालाँकि, IRI ने पाया कि अधिकांश बड़े कारोबारी शेख हसीना की आवामी लीग का समर्थन करते हैं और सेना के बड़े अधिकारी भी सरकार के प्रति कोई ख़ास गुस्सा नहीं है। अपनी रिपोर्ट में IRI ने कहा कि सैन्य अधिकारियो को बड़े पद दिए गए हैं, जिससे वह प्रसन्न हैं। IRI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इसी तरह से आवामी लीग सत्ता पर जमी हुई है।

बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी BNP का पैंतरा भी IRI आजमाना चाहती थी लेकिन उसे यह लम्बी रेस का घोड़ा नहीं लगी। IRI ने पाया कि BNP पर हुई कार्रवाइयों ने उसकी छवि खराब कर दी है। बांग्लादेश के आम लोग उसे पसंद नहीं करते। इसके अलावा IRI ने यह भी कहा कि BNP में दो गुट चल रहे हैं जिनमे से एक ढाका जबकि दूसरा लंदन से चलता है। ऐसे में IRI ने सत्ता परिवर्तन के लिए BNP को फिट नहीं समझा। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद मोहम्मद युनुस को इसीलिए लाया गया क्योंकि BNP मुखिया खालिदा जिया की अब भी स्वीकार्यता नहीं है।

लाशों पर सत्तापलट की थी चाहत

IRI चाहती थी कि बांग्लादेश में कोविड महामारी में बड़ा नुकसान हो जिसका फायदा उठा कर शेख हसीना का तख्तापलट किया जाए। IRI ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा, “कोरोनावायरस महामारी के स्वास्थ्य और आर्थिक परिणामों से बांग्लादेश की राजनीति अस्थिर होने की संभावना थी। हालाँकि, बांग्लादेश में मृत्यु दर कम रही और खतरनाक अनुमानों के बावजूद अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ।” इस तरह IRI के हाथ से यह एक मौका भी चला गया।

भारत से भी IRI को समस्या

अमेरिकी एजेंसी IRI को मात्र बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार या उनकी पार्टी आवामी लीग से ही नहीं बल्कि भारत से भी समस्या है। IRI ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा, “बांग्लादेश में राजनीति में दो दलों का वर्चस्व है: अवामी लीग (AL) और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP)। पिछले दस सालो से, भारत के समर्थन के कारण आवामी लीग लगातार आधिपत्यवादी: राजनीतिक मुकाबले पर हावी होने वाली और भ्रष्ट हो गई है।” IRI ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में भारत का प्रभाव कम करने की जरूरत है।

एक अन्य रिपोर्ट में IRI ने कहा, ” इस बात की पूरी संभावना है कि आवामी लीग और शेख हसीना भारत के समर्थन के तहत किसी भी तरह से फिर से चुनाव जीतने की कोशिश करेंगे। बांग्लादेश के भीतर इस इलाके की शक्तियों (भारत और चीन) के हस्तक्षेप को संतुलित करना आवश्यक है।” IRI ने यह भी बताया कि उसने BNP हो या अवाम्मी लीग, दोनों में बड़े स्तर पर घुसपैठ कर ली थी। इसके लिए उनसे पाँच अमेरिकी राजनयिकों का सहारा लिया था। इनमे से एक USAID में तैनात था। इस पूरे ऑपरेशन को डोनाल्ड लू समेत बाकी अधिकारी देख रहे थे।

हसीना ने जताया था खतरा

IRI की गतिविधियाँ जहाँ एक तरफ चल रही थीं, वहीं दूसरी तरफ शेख हसीना लगातार इस खतरे को समझ रहीं थी। अप्रैल, 2023 में बांग्लादेश की संसद में हसीना ने इसी खतरे को लेकर देश को आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका विश्व के किसी भी देश में सरकार पलट सकता है। इससे पहले अमेरिका ने लगातार शेख हसीना की सरकार पर दबाव बनाना चालू कर दिया था। हसीना सरकार के अधिकारियों पर अमेरिका ने प्रतिबन्ध भी लगाए थे।

गौरतलब है कि बांग्लादेश में 5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना की सत्ता गिर गई थी। शेख हसीना को देश छोड़ कर भारत आना पड़ा था। शेख हसीना की सत्ता आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के बाद गई थी। इस प्रदर्शन में जमात ए इस्लामी और इस्लामी कट्टरपंथी संगठन शामिल हो गए थे और भारी हिंसा की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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