सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को लताड़ लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार महिला डॉक्टरों को रात में काम करने से नहीं रोक सकती। कोर्ट ने इस दौरान आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप और हत्या मामले में CBI जाँच की रिपोर्ट को परेशान करने वाला बताया।
मंगलवार (17 सितम्बर, 2024) को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणियाँ की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल के महिला सुरक्षा संबधी एक कदम पर बिगड़ गई।
पश्चिम बंगाल सरकार ने बताया कि उसने महिला डॉक्टरों सुरक्षा के लिए उनके रात में काम करने या 12 घंटे से अधिक ड्यूटी ना करने सम्बन्धी नियम बनाए हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि महिलाएँ राज्य सरकार से कोई छूट नहीं चाहतीं बल्कि वह सुरक्षित माहौल चाहती है।
कोर्ट ने कहा, “ऐसा कैसे हो सकता है? महिलाएँ रियायतें नहीं, बल्कि समान मौके चाहती हैं…महिला डॉक्टर हर परिस्थिति में काम करने को तैयार हैं। उन्हें हर परिस्थिति में काम करना चाहिए…पश्चिम बंगाल को इसे सही करना होगा। आप यह नहीं कह सकते कि महिला डॉक्टर 12 घंटे से ज़्यादा शिफ्ट में काम नहीं कर सकतीं और रात में नहीं।”
कोर्ट ने कहा कि सुरक्षाबल भी रात में काम करते हैं और उनमें महिलाएँ शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी महिला को यह नहीं कह सकती कि वह रात को काम ना करें। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सभी को सुरक्षा दिलाना राज्य का काम है। इसके जवाब पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वह इस नियम को बदल देंगे।
वहीं इस दौरान हत्या और रेप मामले में CBI ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। कोर्ट का कहना है कि यह रिपोर्ट परेशान करने वाली है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह CBI जाँच पर कोई डेडलाइन नहीं लगाएगा। कोर्ट ने यह कहा कि CBI जाँच को लेकर शांत नहीं बैठी है। कोर्ट ने CBI रिपोर्ट की कोई भी जानकारी सार्वजनिक देने से मन मना कर दिया है।
CBI ने अपनी रिपोर्ट में जो खुलासा किया है, वह और भी बुरा है, असल में परेशान करने वाला है। आप जो बता रहे हैं, वह चिंता का विषय है, हम खुद चिंतित हैं, CBI ने इसे हमें बताया है… हमने जो पढ़ा है, उससे हम खुद परेशान हैं… CBI अपनी स्वतंत्र जाँच करने के अलावा हमारे द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी काम कर रही है। जाँच पूरी करने के लिए अभी भी समय है। हमें CBI को पर्याप्त समय देना होगा, वह सो नहीं रहे हैं। कोई समय सीमा तय करना जाँच को भटकाना होग, सच को सामने लाने के लिए उन्हें समय दिया जाना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई स्वतः संज्ञान में लिए गए मामले पर की है। कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान अगस्त, 2024 में लिया था। डॉक्टरों के एक बड़े समूह ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में न्याय की माँग भी की थी। कोर्ट ने इसके बाद कई दिशानिर्देश दिए थे।
गौरतलब है कि 9 अगस्त, 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पहले प्रशासन और अस्पताल के अधिकारियों ने लीपापोती करने का प्रयास किया था। हालाँकि विरोध के बाद सच्चाई सामने आई थी। अभी इस मामले में CBI जाँच चल रही है।