Sunday, September 29, 2024
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अब केवल गुलाम कश्मीर (PoK) वापस लेना है: संयुक्त राष्ट्र से जयशंकर ने दुनिया को बताया मोदी सरकार का इरादा, कहा- अपने कर्मों का फल भोग रहा है पाकिस्तान

जयशंकर कहा, "कई देश अपने नियंत्रण से परे की परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं, लेकिन कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं। इसका एक बेहतरीन उदाहरण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान है। दुर्भाग्य से, उनके कुकृत्यों का असर दूसरों पर भी पड़ता है, खासकर पड़ोस पर।"

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGC) में कश्मीर का मसला उठाने के बाद भारत ने करारा दिया है। पहले तो संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रतिनिधि भाविका मंगलनंदन ने पाकिस्तान को उसको हैसियत याद दिलाई और अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चेतावनी भी दे दी है। उन्होंने कहा कि अब दोनों देशों के बीच सुलझाया जाने वाला मुद्दा केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) को वापस लेना है।

अमेरिका के न्यूयॉर्क में 79वें UNGC को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “हमने कल इसी मंच से कुछ विचित्र बातें सुनीं। मैं भारत की स्थिति को स्पष्ट कर दूँ कि पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसे दंड से बचने की कोई उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए। इसके विपरीत, कार्रवाई के निश्चित रूप से परिणाम होंगे।”

पूर्व विदेश सचिव रह चुके सुब्रमण्यम जयशंकर (एस जयशंकर) ने कश्मीर नीति और आतंकवाद को लेकर भारत का रूख स्पष्ट करते हुए कहा, “हमारे बीच सुलझाया जाने वाला मुद्दा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना और आतंकवाद के साथ पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे लगाव को त्यागना है।”

पाकिस्तान की अपनी धरती पर ‘आतंकवादियों को पनाह देने’ की नीति के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, “कई देश अपने नियंत्रण से परे की परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं, लेकिन कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं। इसका एक बेहतरीन उदाहरण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान है। दुर्भाग्य से, उनके कुकृत्यों का असर दूसरों पर भी पड़ता है, खासकर पड़ोस पर।”

उन्होंने कहा, “जब राजनीति अपने लोगों में इस तरह की कट्टरता भरती है तो इसकी जीडीपी को सिर्फ कट्टरपंथ और आतंकवाद के निर्यात के रूप में मापा जा सकता है। आज हम देखते हैं कि दूसरों पर जो बुराइयाँ लाने की कोशिश की गई थी, वे उसके अपने समाज को निगल रही हैं। यह दुनिया को दोष नहीं दे सकते। यह केवल उनका कर्म है।”

पाकिस्तानी पीएम ने कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन की थी

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने UNGC में बोलते हुए कश्मीर में भारत सरकार की कार्रवाई की आलोचना की थी। इतना ही नहीं, उन्होंने जम्मू-कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से की है। शहबाज शरीफ ने कहा था, “फिलिस्तीन के लोगों की तरह जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भी अपनी स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय के अधिकार के लिए एक सदी तक संघर्ष किया है।”

शहबाज शरीफ ने यह आशंका जताई कि अगर पाकिस्तान किसी तरह का दुस्साहस करने की सोचता है तो भारत उसे छोड़ेगा नहीं है। भारत की बढ़ती सैन्य क्षमताओं के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत के नेतृत्व ने ‘नियंत्रण रेखा पार करने की धमकी’ दी है। हालाँकि उन्होंने अपनी कमजोर छिपाते हुए कहा कि पाकिस्तान जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

इस भारत की ओर से जवाब देते हुए भारतीय राजनयिक भाविका मंगलनंदन ने कहा, “पाकिस्तान ने लंबे समय से अपने पड़ोसियों के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। इसने हमारी संसद, हमारी वित्तीय राजधानी मुंबई, बाजारों और तीर्थस्थलों पर हमला किया है। यह सूची लंबी है। ऐसे देश के लिए कहीं भी हिंसा के बारे में बात करना सबसे बड़ा पाखंड है।”

आतंकवाद पर पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए भाविका मंगलनंदन ने कहा, “पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के परिणाम उसे निश्चित रूप से भुगतने होंगे। यह हास्यास्पद है कि एक राष्ट्र जिसने 1971 में नरसंहार किया और जो आज भी अपने अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार करता है, वह असहिष्णुता और भय के बारे में बोलने की हिम्मत करता है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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