उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में शिक्षा विभाग की लाइब्रेरी में हिंदू छात्राओं का ब्रेनवाश करने का मामला सामने आया है। आरोपित वरिष्ठ सहायक आसिफ हसन पर आरोप है कि वह छात्राओं को मुस्लिम युवकों से बातचीत करने के लिए प्रेरित करता था और इस्लाम से संबंधित बातें करता था। पिछले छह माह से लाइब्रेरियन का कार्यभार संभाल रहे आसिफ हसन पर यह आरोप लगाया गया है कि वह छात्राओं को मुस्लिम लड़कों से दोस्ती करने के लिए प्रेरित करते थे और बाहरी मुस्लिम युवकों का लाइब्रेरी में आना-जाना भी बना रहता था। शिकायत के बाद उसे लाइब्रेरी से हटा दिया गया है।
छात्राओं का आरोप है कि आसिफ हसन लाइब्रेरी में इस्लामी मजहब का प्रचार करता है और मुस्लिम युवकों से बातचीत करने का मौका देता है। परेशान होकर कुछ छात्राओं ने इस बारे में डीएम को लिखित शिकायत दी। संयुक्त शिक्षा निदेशक मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि इस मामले की जाँच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जिसमें एक प्रवक्ता और एक प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। यह कमेटी आरोपों की जाँच करेगी और छात्राओं से भी बातचीत करेगी।
इस मामले की मीडिया रिपोर्टिंग होने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई की है। उसे उसकी पुरानी पोस्टिंग पर भेज दिया गया। हालाँकि प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि जिलाधिकारी अनुज सिंह ने शिकायत मिलने के बाद आरोपित को सस्पेंड करने की बजाय उसे सिर्फ पुरानी पोस्टिंग पर भेजा गया है। डीएम ने बस उसे लाइब्रेरी से हटाने का आदेश दिया, जबकि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए निलंबन किया जा सकता था। ऑपइंडिया आसिफ हसन की कारस्तानियों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित कर चुका है।
साइब्रेरी में बतौर वरिष्ठ सहायक काम करने वाले आसिफ हसन ने इन आरोपों को निराधार बताया और कहा कि वह खुद एक बेटी का पिता है। आसिफ हसन ने कहा कि लाइब्रेरी में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, और जो भी दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी। डीएम अनुज सिंह का कहना है कि शिकायत मिली है और जाँच की जा रही है। जो भी तथ्य सामने आएँगे, उसी के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
आसिफ हसन के कमरे में मिला था असलहा
आसिफ हसन पहले भी विवादों में रह चुका है। लगभग 13-14 साल पहले बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय में उसके कमरे में असलहा मिलने की सूचना पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने छापा मारा था, लेकिन आसिफ हसन वहाँ से भाग निकला था।