Sunday, April 28, 2024
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फडणवीस के लिए बहुमत जुटाने निकले ठाकरे के ‘नारायण’: महाराष्ट्र के रण में BJP का सबसे बड़ा दाँव

'नारायण' को दो नेताओं से चिढ़ ज़रूर है। उन्होंने कहा था कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण उनके दोस्त नहीं हैं। आज जब शिवसेना और कॉन्ग्रेस के यही दोनों नेता बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, 'नारायण' के लिए उन्हें पटखनी देने का ये मौक़ा व्यक्तिगत भी हो चुका है।

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस पर बहुमत साबित करने की बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि ये पूरे भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। अब भाजपा ने ज़मीन पर इसकी पूरी रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को दी है। कहा जाता है कि राणे के दोस्त सभी पार्टी में हैं। वो बाल ठाकरे की रिमोट कंट्रोल वाली सरकार में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। भाजपा को उनके अनुभव का फ़ायदा मिल सकता है। नारायण राणे की एक ख़ास बात ये भी है कि वो फ़िलहाल तो भाजपा में हैं लेकिन कभी शिवसेना और कॉन्ग्रेस में भी रह चुके हैं। दोनों दलों में उनका प्रभाव है।

राज्यसभा सांसद नारायण राणे के शिवसेना और कॉन्ग्रेस के कई नेताओं से अभी भी काफ़ी दोस्ताना संबंध हैं। जब उन्होंने 2017 में कॉन्ग्रेस छोड़ी थी, तभी उन्होंने कहा था कि उनके दोस्त सभी पार्टियों में हैं। हाँ, नारायण राणे को दो नेताओं से चिढ़ ज़रूर है। उन्होंने कहा था कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण उनके दोस्त नहीं हैं। आज जब शिवसेना और कॉन्ग्रेस के यही दोनों नेता बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, नारायण राणे के लिए उन्हें पटखनी देने का ये मौक़ा व्यक्तिगत भी हो चुका है।

यह भी जानने वाली बात है कि जब नारायण राणे को राज्यसभा भेजा गया था, तब शिवसेना ने इसका विरोध किया था। भाजपा ने अपने सहयोगी की आपत्ति को दरकिनार करते हुए राणे को राज्यसभा भेजा। नारायण राणे को शिवसेना का वो विरोध भी याद ही होगा। ताज़ा विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नारायण राणे की ‘महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष’ पार्टी का भाजपा में विलय कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। जब हाल ही में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा था, तब राणे ने कहा था कि वो भाजपा की सरकार के लिए सभी ‘साम, दाम, दंड और भेद’ अपनाएँगे।

नारायण राणे ने कहा कि उन्हें बस 40 और विधायकों का जुगाड़ करना है क्यों भाजपा के पास पहले से ही 105 विधायक हैं। युवाकाल से ही शिवसेना के साथ रहे राणे को बाल ठाकरे ने 1999 में मुख्यमंत्री बना कर उनकी वफादारी का इनाम दिया था। वो उद्धव ठाकरे के पुराने आलोचक रहे हैं और उन्हें क्षमतावान नहीं मानते हैं। वो कॉन्ग्रेस के पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में राजस्व मंत्री बने और फिर आलाकमान के ख़िलाफ़ बोलने के लिए 2008 में निकाल बाहर किए गए। बाद में कॉन्ग्रेस ने उन्हें फिर अपनाया। 2017 में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और तभी से उनका झुकाव भाजपा की तरफ उठा।

राणे पहले ही कह चुके हैं कि शिवसेना और कॉन्ग्रेस के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी और पियूष गोयल को भी देवेंद्र फडणवीस की मदद के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। अगर सुप्रीम कोर्ट फ़ौरन बहुमत साबित करने का आदेश देता है तो सदन में भाजपा के लिए मुश्किलें आ सकती हैं, ये बात पार्टी को भी पता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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