इस्लामिक कट्टरपंथियों की धमकी दिए के बाद सिख नेता राधेश सिंह टोनी परिवार समेत पाकिस्तान से चले गए। बुधवार (22 जनवरी) को उन्होंने एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने बताया कि उनका जीवन ख़तरे में था और अपने परिवार और बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्होंने यह क़दम उठाया।
I appeal to my Sikh Community those who are abroad, Please help me & my Family & take me out to some safe place at this world. @WorldSikhOrg@amnesty @hrw @HRC @realDonaldTrump @Malala @ZarAliAfridi @TahaSSiddiqui @BaseerNaveed @GlobalSikh pic.twitter.com/Jc1l0uzGkB
— RadeshSinghTony (@aoepoeRadesh) January 22, 2020
टोनी ने विदेशों में बसे सिख समुदाय के लोगों से अपील की थी कि वे एक ’सुरक्षित स्थान’ पर पुनर्वास में उनकी मदद करें। टोनी खालसा पीस एंड जस्टिस फाउंडेशन के अध्यक्ष और खैबर पख्तूनख्वा के मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्होंने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में 2018 में पाकिस्तान में आम चुनावों में भी हिस्सा लिया था।
SAD नेता मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा पाकिस्तानी राजनेता के समर्थन में सामने आने के बाद मीडिया का ध्यान उन पर गया था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी ट्वीट कर पाकिस्तानी सरकार से टोनी की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था। उन्होंने सरकार से उनके संरक्षण के लिए “तत्काल क़दम” उठाने का आग्रह किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि हाल के दिनों में सिख समुदाय के कई सदस्यों को सताया जा रहा है।
Urge @ImranKhanPTI to ensure safety of @aoepoeRadesh. I understand he’s feeling unsafe in Pakistan, which has seen many Sikhs being persecuted in recent months. The @pid_gov should take immediate steps to protect him & others like him & facilitate their safe passage if needed.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) January 23, 2020
रधेश सिंह टोनी ने बताया कि पाकिस्तान में, सिख, हिन्दू और ईसाई के धार्मिक अल्पसंख्यक लगातार ख़तरों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया था कि इस्लामी कट्टरपंथियो को पाकिस्तान सरकारा का समर्थन प्राप्त है।
ख़बर के अनुसार, टोनी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के मुखर आलोचक थे। इससे पहले भी उन्हें इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा धमकी दी गई थी और दो अज्ञात लोगों द्वारा उन पर हमला किया गया था। कट्टरपंथियों ने टोनी को कुछ समय के लिए ट्विटर छोड़ने तक के लिए भी मजबूर किया। इन सब हालातों से तंग आकर रधेश सिंह टोनी अपनी पत्नी और तीन बच्चों समेत अपनी पूरी सम्पत्ति छोड़ने को मजबूर हो गए और वो पेशावर से लाहौर चले गए। एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रीय असेंबली के लिए चुनाव लड़ने से पहले पाकिस्तानी राजनेता खैबर पख्तूनख्वा से अल्पसंख्यक पार्षद थे।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा सिख समुदाय के किसी प्रमुख सदस्य को डराया-धमकाया गया है। पिछले साल, इमरान खान की कैबिनेट के एक पूर्व सदस्य बलदेव सिंह ने भारत में बीमार होने के कारण शरण माँगी थी। एक अन्य सिख नेता चरणजीत सिंह को मई 2018 में पेशावर में गोली मार दी गई थी। हाल ही में, इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा एक नाबालिग सिख लड़की, जगजीत कौर के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले के बाद ननकाना साहिब के पवित्र तीर्थस्थल पर हमला किया गया था।
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