Thursday, April 25, 2024
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1984 दंगाः सिख यात्रियों को ट्रेनों से घसीटकर मारा गया, पुलिस तमाशबीन बनी रही, SIT रिपोर्ट

"पुलिस ने किसी भी दंगाई को मौके से गिरफ्तार नहीं किया। किसी को गिरफ्तार नहीं करने के पीछे जो कारण दर्शाया गया वह यह था कि पुलिसकर्मियों की संख्या बेहद कम थी और दंगाई पुलिस को देखकर भाग खड़े हुए।"

1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जाँच दल (SIT) ने अपनी रिपोर्ट में उस वक्त की पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान सिख यात्रियों को दिल्ली में रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों से बाहर निकालकर मारा गया लेकिन पुलिस ने किसी को भी मौके से यह कहते हुए नहीं बचाया कि उनकी संख्या बेहद कम थी।

केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली पुलिस की भूमिका पर कमिटी की रिपोर्ट को हम स्वीकार करते हैं और इसके अनुसार कार्रवाई भी करेंगे। दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन ढींगरा की अध्यक्षता वाली SIT की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रेन में सफर कर रहे सिख यात्रियों की ट्रेन और रेलवे स्टेशनों पर हमला करने वाले लोगों द्वारा हत्या किए जाने के पाँच मामले थे।

SIT ने कुल 186 मामलों की जाँच की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यह घटनाएँ 1 और 2 नवंबर 1984 को दिल्ली के पाँच रेलवे स्टेशनों- नाँगलोई, किशनगंज, दयाबस्ती, शाहदरा और तुगलकाबाद में हुई।

SIT रिपोर्ट में कहा गया है, “इन सभी पाँच मामलों में पुलिस को दंगाइयों द्वारा ट्रेन को रोके जाने तथा सिख यात्रियों को निशाना बनाए जाने के बारे में सूचना दी गई। सिख यात्रियों को ट्रेन से बाहर निकालकर पीटा गया और जला दिया गया। शव प्लेटफॉर्म और रेलवे लाइन पर बिखरे पड़े थे।

इस रिपोर्ट में कहा गया है, “पुलिस ने किसी भी दंगाई को मौके से गिरफ्तार नहीं किया। किसी को गिरफ्तार नहीं करने के पीछे जो कारण दर्शाया गया वह यह था कि पुलिसकर्मियों की संख्या बेहद कम थी और दंगाई पुलिस को देखकर भाग खड़े हुए।”

इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पुलिस ने घटनावार या अपराधवार FIR दर्ज नहीं की और इसके बजाए कई शिकायतों को एक ही FIR में मिला दिया गया। इसमें कहा गया कि ऐसी ही एक प्राथमिकी में 498 घटनाओं को शामिल किया गया था और इनकी जाँच के लिये सिर्फ एक अधिकारी को नियुक्त किया गया था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी की अक्टूबर 31, 1984 को उनके दो सुरक्षा कर्मियों द्वारा गोली मार कर हत्या किए जाने के बाद दिल्ली सहित देश के अनेक हिस्सों में बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे हुए थे। इन दंगों में अकेले दिल्ली में 2,733 व्यक्तियों की जान चली गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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