Friday, November 22, 2024
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कुम्भ 2019: कब और क्या? इतिहास, ज्योतिष और वर्त्तमान पर एक नज़र

कुम्भ का आयोजन मकर संक्रांति के दिन शुरू होता है, जब सूर्य और चंद्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्वर्ग के दरवाजे खुलते हैं। इस बार कुम्भ स्‍नान का अदभुत संयोग करीब तीस सालों बाद बन रहा है।

कुम्भ पर्व विश्व का सबसे बड़ा और विहंगम सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन है। ऐसा बताया जाता है कि कुम्भ का आयोजन 525 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था। माना जाता है कि 617-647 ईसवी में राजा हर्षवर्धन ने प्रयागराज के कुम्भ में हिस्सा लिया और अपना सब कुछ दान कर दिया था।

जनवरी 2019 में प्रयागराज में अर्धकुंभ लग रहा है। जो जनवरी 15 से मार्च 04 तक चलेगा। इससे पहले साल 2013 में प्रयागराज में महाकुम्भ का आयोजन हुआ था। अगला महाकुंभ साल 2025 में लगेगा। प्रयागराज में ‘कुम्भ’ कानों में पड़ते ही गंगा, यमुना एवं सरस्वती का पावन सुरम्य त्रिवेणी संगम मानसिक पटल पर छा जाता है।

हिंदू धर्म में मान्‍यता है कि किसी भी कुम्भ मेले में पवित्र नदी में स्‍नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्‍य जन्म-पुनर्जन्म के चक्कर से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। कुम्भ को लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार की कहानियाँ हैं लेकिन इसका महत्व धार्मिक और ज्योतिषीय रूप में अधिक प्रचलित है।

खगोल गणना के अनुसार कुम्भ का आयोजन मकर संक्रांति के दिन तब शुरू होता है, जब सूर्य और चंद्रमा, वृश्चिक राशि में और बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करते हैं। कुम्भ को लेकर कई प्रकार की मान्यताएँ हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्वर्ग के दरवाजे खुलते हैं। कुम्भ के दौरान गंगा में स्नान करने वाली आत्मा सहज़ स्वर्ग की भागी होती है। इस बार कुम्भ स्‍नान का अद्भुत संयोग करीब तीस सालों बाद बन रहा है।

कुम्भ: 2019  शाही स्नान की तिथियाँ

  • 14-15 जनवरी 2019: मकर संक्रांति (पहला शाही स्नान)
  • 21 जनवरी 2019: पौष पूर्णिमा
  • 31 जनवरी 2019: पौष एकादशी स्नान
  • 04 फरवरी 2019: मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान, दूसरा शाही स्नान)
  • 10 फरवरी 2019: बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
  • 16 फरवरी 2019: माघी एकादशी
  • 1 9 फरवरी 2019: माघी पूर्णिमा
  • 04 मार्च 2019: महा शिवरात्री
कुम्भ की महिमा का गान करता एक पेंटिंग (फोटो साभार: kumbh.gov.in)

कुम्भ मेले की तैयारियाँ लगभग पूरी हो चुकी हैं। सड़कें और अन्य निर्माण कार्य तेजी से किए गए हैं। आयोजन से पहले यहाँ का रंग-रूप बिल्कुल बदल चुका है। जगहों को तरह-तरह की पेंटिंगों से सजाया गया है। संगम नगरी जनमानस के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गई है। गंगा-यमुना की नगरी को इस तरह सजाया गया है जैसे साक्षात् देवलोक धरा पर अवतरित हुआ हो।

कुम्भ-2019 में कई विदेशी प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं। कुम्भ स्‍थल पर तंजानिया, अमेरिका, उजबेकिस्तान, त्रिनिडाड, टोबैगो, ट्यूनीशिया और वेनेजुएला के झंडे लगाए गए हैं।

गौरव गाथा: कुम्भ 2019

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रवि अग्रहरि
रवि अग्रहरि
अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!

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