राजनीतिक असहिष्णुता का एक और मामला पश्चिम बंगाल में सामने आया है जहाँ एक भाजपा कार्यकर्ता पर कथित तौर पर तृणमूल कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा क्रूरता से हमला करने का आरोप लगाया गया।
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बीजेपी बंगाल द्वारा पोस्ट किए गए एक ट्वीट के अनुसार, पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में एक बीजेपी कार्यकर्ता अपूर्बा चक्रबर्ती को TMC गुंडों ने बेरहमी से पीटा। हमले के शिकार हुए चक्रबर्ती की हालत गंभीर है और फ़िलहाल उन्हें उत्तर बंग मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। वह पश्चिम बंगाल में उत्तरी दिनाजपुर जिले के एक भाजपा नेता हैं।
Islampur BJP worker Shri Apurba Chakraborty brutally attacked by TMC goons. He is critical and admitted in Uttar Banga medical college.
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) March 14, 2019
The reason we have demanded West Bengal be declared as a “super sensitive” state and the deployment of central forces in every polling booth. pic.twitter.com/F4H4UAf7uO
बता दें कि अपूर्बा चक्रबर्ती कल रात (मार्च 13, 2019) इस्लामपुर पीएस के गुलशन इलाके में अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ एक शादी समारोह में गए थे। इसके बाद जब वो लगभग 10 बजे शादी से वापस घर जा रहे थे, तो संदिग्ध TMC के गुंडों ने सड़क पर उनके साथ मारपीट की। कुछ समय बाद वहाँ स्थानीय निवासी जमा हो गए जिसके बाद बदमाश वहांँ से भाग गए।
पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के राज में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के ख़िलाफ़ हिंसात्मक गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं। हाल ही में TMC विधायक सोवन चटर्जी और उनके मित्र बैशाखी चटर्जी बंगले में कैद हो गए थे क्योंकि उनके और उनके दोस्त के भाजपा में शामिल होने की अटकलें थीं। इसके अलावा उनकी दोस्त बैशाखी चटर्जी को बलात्कार की भी धमकी दी गई थी।
पिछले साल मई के महीने में, 6 महीने की गर्भवती महिला, जो पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में एक भाजपा उम्मीदवार की रिश्तेदार थीं, नादिया ज़िले में TMC कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से उनका बलात्कार किया गया था।
पिछले साल TMC ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में निर्विरोध 20,000 सीटें जीती थीं, ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि TMC पार्टी ने सभी ग्रामीण सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और हिंसा का सहारा लेकर बाक़ियों को नामांकन दाखिल करने से रोक दिया था। भाजपा ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल नहीं करने देने के मामले में हस्तक्षेप करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख़ किया था।