बुधवार के दिन गोपालगंज और पूर्वी चंपारण को जोड़ने वाले पुल का एक हिस्सा भारी बारिश की वजह से पूरी तरह टूट जाने की खबर विपक्ष द्वारा उछाली गई। जिसमें विपक्ष ने आरोप लगाया कि केवल 29 दिन पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस पुल का उद्घाटन किया था वह टूट गई है। जबकि प्रशासन ने पुल नहीं बल्कि बाढ़ में डूबी एक अप्रोच पुलिया के टूटने की बात कही है। जो कि मुख्य पुल से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है।
बिहार प्रशासन और बिहार सरकार के मंत्री ने मुख्य पुल टूटने की बात का खंडन करते हुए बयान दिया है। बिहार सरकार के सड़क निर्माण विभाग के मंत्री नन्द किशोर यादव ने वीडियो शेयर कर इसका प्रमाण के साथ खंडन करते हुए स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने विपक्ष और मीडिया पर झूठ फ़ैलाने का आरोप भी लगाया।
मीडिया में सत्तर घाट पुल के क्षतिग्रस्त होने की झूठी खबर चल रही है। इस मामले में सही तथ्य निम्नवत है।@RCD_Bihar@amritlalmeena89 pic.twitter.com/XAvy5sVfOp
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) July 16, 2020
नेता प्रतिपक्ष #सत्तर_घाट_पुल के क्षतिग्रस्त होने की झूठी खबर फैला रहे हैं।
— Nand Kishore Yadav (@nkishoreyadav) July 16, 2020
इस मामले में सही तथ्य निम्नवत है।
सत्तर घाट मुख्य पुल से लगभग दो किमी दूर गोपालगंज की ओर एक 18 मी लम्बाई के छोटे पुल का पहुँच पथ कट गया है। यह छोटा पुल गंडक नदी के बांध के अन्दर अवस्थित है। @ANI pic.twitter.com/GwUe5RS6iK
गौरतलब है कि जिस पल के टूटने की बात फैलाई गई थी वह गंडक नदी पर बना 1.4 किलोमीटर लंबा सत्तर घाट महासेतु पुल है। जिसे 16 जून के दिन आम लोगों के लिए शुरू किया गया था। इस पुल का निर्माण कार्य आज से लगभग 8 साल पहले, अप्रैल 2012 में शुरू किया गया था। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने इसे 264 करोड़ रूपए की लागत से तैयार किया था।
अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ भारी बारिश होने की वजह से नदी का जलस्तर बढ़ गया और वाल्मीकि नगर से काफी पानी छोड़े जाने की वजह से इस पुल से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित अप्रोच पुलिया दबाव नहीं झेल पाई। इलाके में बारिश बढ़ने के बाद से ही बाढ़ में डूबे उक्त 18 मीटर लम्बे पुल के कुछ हिस्से कमज़ोर हो चुके थे। जिससे वह टूट गई।
ये है सत्तरघाट पुल जो पूर्वी चम्पारण के केसरिया में गंडक नदी पर स्थित है। मीडिया द्वारा इसके टूटने की खबर चलायी जा रही है जो पूरी तरह झूठी और भ्रामक है। आप देख सकते हैं यह पुल पूरी तरह सुरक्षित है।#SattarghatBridge@RCD_Bihar@amritlalmeena89https://t.co/whqQetcDO1
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) July 16, 2020
यह सही है कि पुलिया के टूट जाने की वजह से क्षेत्र का यातायात भी काफी बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहा है। कई इलाकों के बीच आवागमन पूरी तरह बंद पड़ा है, इतना ही नहीं यह पुल गोपालगंज और पूर्वी चंपारण के बीच का इकलौता माध्यम है। और संभवतः यही वजह भी है कि इस मुद्दे पर जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव और बिहार कॉन्ग्रेस मुखिया मदन मोहन झा ने भी प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कई ट्वीट कर मुख्य पुल के टूटने की बात फैला दी।
तेजस्वी यादव ने अपने आधिकारिक ट्वीटर एकाउंट से एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट में लिखा, “8 वर्ष में 263.47 करोड़ की लागत से निर्मित गोपालगंज के सत्तर घाट पुल का 16 जून को नीतीश जी ने उदघाटन किया था आज 29 दिन बाद यह पुल ध्वस्त हो गया। ख़बरदार। अगर किसी ने इसे नीतीश जी का भ्रष्टाचार कहा तो? ₹263 करोड़ तो सुशासनी मुँह दिखाई है। इतने की तो इनके चूहे शराब पी जाते हैं।”
8 वर्ष में 263.47 करोड़ की लागत से निर्मित गोपालगंज के सत्तर घाट पुल का 16 जून को नीतीश जी ने उद्घाटन किया था आज 29 दिन बाद यह पुल ध्वस्त हो गया।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 15, 2020
ख़बरदार!अगर किसी ने इसे नीतीश जी का भ्रष्टाचार कहा तो?263 करोड़ तो सुशासनी मुँह दिखाई है।इतने की तो इनके चूहे शराब पी जाते है pic.twitter.com/cnlqx96VVQ
इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, “₹263 करोड़ से 8 साल में बना लेकिन मात्र 29 दिन में ढह गया पुल। संगठित भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह नीतीश जी इस पर एक शब्द भी नहीं बोलेंगे और न ही साइकिल से रेंज रोवर की सवारी करने वाले भ्रष्टाचारी सहपाठी पथ निर्माण मंत्री को बर्खास्त करेंगे। बिहार में चारों तरफ लूट ही लूट मची हुई है।”
263 करोड़ से 8 साल में बना लेकिन मात्र 29 दिन में ढ़ह गया पुल। संगठित भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह नीतीश जी इस पर एक शब्द भी नहीं बोलेंगे और ना ही साइकिल से रेंज रोवर की सवारी कराने वाले भ्रष्टाचारी सहपाठी पथ निर्माण मंत्री को बर्खास्त करेंगे। बिहार में चारों तरफ लूट ही लूट मची है। pic.twitter.com/EIcQYPEHn8
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 16, 2020
इसके बाद मदन मोहन झा ने ट्वीट करते हुए लिखा, “₹263 करोड़ की लागत से बने इस पुल का उदघाटन 16 जून को हुआ था और 15 जुलाई को यह पूरी तरह टूट गया। अब इसके लिए चूहों को ज़िम्मेदार मत ठहराइएगा। ’
16 जून को 263.47 करोड़ रुपये की लागत से बने पुल का उद्घाटन और 15 जुलाई को उसका सत्यानाश ।
— Dr. Madan Mohan Jha (@DrMadanMohanJha) July 15, 2020
अब इसका आरोप बेचारे चूहों पर मत लगा देना। pic.twitter.com/H8enBRqTvU