सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक किस कदर दक्षिणपंथियों के प्रति दुराग्रह से ग्रस्त है, इसकी एक और झलक हाल में देखने को मिली। फेसबुक ने दक्षिणपंथी ब्लॉगर व सोशल मीडिया पर्सनैलिटी अंशुल सक्सेना के पेज को पिछले सप्ताह अकारण निलंबित कर दिया। यही नहीं, लगातार अंशुल सक्सेना की शिकायत के बावजूद एक सप्ताह तक फेसबुक ने उन्हें लटकाए रखा।
‘न्यूडिटी’-विरोधी पर न्यूडिटी फैलाने का आरोप
मामला दरअसल यह था कि अंशुल सक्सेना ने बंगलुरु के एक चित्रकार की चित्र प्रदर्शनी के खिलाफ लिखा था। इस प्रदर्शनी में चित्रकार के मंगलसूत्र पहनीं नग्न महिलाओं के चित्रों का प्रदर्शन होना था। अंशुल सक्सेना ने इस पर आपत्ति जताते हुए फेसबुक पर इसे हटवाने का सामाजिक दबाव बनाने के लिए अपील की थी।
इसके बाद खुद अंशुल सक्सेना के पेज को फेसबुक ने नग्नता फैलाने के आरोप में निलंबित कर दिया। इसके बाद अंशुल ने जब इसके खिलाफ अपील की तो फेसबुक ने अपनी गलती तो मान ली पर उनका पेज चालू नहीं किया। यही नहीं, उस पेज का संचालन करने वाले उनके निजी अकाउंट को भी फेसबुक ने निलंबित कर दिया।
12 घंटे तक फेसबुक ने जब उनके पेज और अकाउंट को वापस चालू नहीं किया तो अंशुल ने ट्विटर पर फेसबुक को टैग करते हुए इसकी शिकायत की।
1. I talked against ‘Nude with Mangalsutra’ exhibition on Social Media platforms including @facebook.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) March 20, 2019
Today Morning, Facebook deleted my page https://t.co/bAcy8Gdnh0 for spreading Nudity. This is Freedom of Speech. Isn’t @fbnewsroom?
One who reported my page uploaded this image pic.twitter.com/OXQZZttk83
और आज जाकर के, सात दिन बाद, अंशुल सक्सेना का पेज फेसबुक ने दोबारा चालू किया।
ध्रुव राठी के मामले में गतिमान फेसबुक
इसी फेसबुक पर कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी के समर्थक माने जाने वाले ब्लॉगर और यू-ट्यूबर ध्रुव राठी ने ऐसी ही शिकायत की थी। उन्होंने हिटलर की जीवनी के कुछ अंशों को उठाकर उनकी आलोचनात्मक तुलना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से की, जिसे फेसबुक ने हिटलर की प्रशंसा मानते हुए ध्रुव राठी को 30 दिन के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।
तब ध्रुव राठी ने आगामी चुनावों के मद्देनजर खुद को बैन किए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद फेसबुक ने बड़ी ही तत्परता से उनका पेज फिर से चालू कर दिया था।
सवाल यह है कि यदि ध्रुव राठी के मामले में अपनी गलती समझ में आने के बाद फेसबुक इतनी तेज गति से भूल-सुधार कर सकता है तो अंशुल सक्सेना के मामले में क्यों नहीं?
फेसबुक के राजनीतिक पूर्वग्रह का लग रहा है मामला
प्रथमदृष्टया यह फेसबुक के राईट-विंग यानि दक्षिणपंथियों के खिलाफ पूर्वग्रह का मामला लग रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया भर के दक्षिणपंथी फेसबुक पर दक्षिणपंथियों के खिलाफ दुराग्रह का आरोप लगाते रहे हैं। ऑपइंडिया ने पिछले दिनों एक खबर प्रकाशित भी की थी जिसमें फेसबुक के इस राजनीतिक पूर्वग्रह के बारे में उसकी ही पूर्व कर्मचारी के खुलासे पर बात की गई थी। साथ ही हमने पहले ही फेसबुक द्वारा भारत के आगामी चुनावों में वाम-समर्थक दखल का भी अंदेशा पहले ही जताया था।