गुरूवार (10 सितंबर 2020) को भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर पाकिस्तान की आलोचना की। आलोचना करते हुए भारत ने कहा पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध नफ़रत की भाषा बोलना बंद करना चाहिए। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ जिस तरह का व्यवहार हो रहा है उस पर खुद का मूल्यांकन करना चाहिए। इसके अलावा भारत ने कहा कि पाकिस्तान ईश निंदा संबंधी क़ानून बना कर अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का हनन कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के उच्च स्तरीय फोरम (संस्कृति और शांति) पर अपने विचार रखते हुए भारत के स्थाई मिशन की सदस्य पॉलोमी त्रिपाठी ने कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि साफ़ तौर पर देखा सकता है कि कैसे पाकिस्तान का प्रतिनिधि मंडल संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच का इस्तेमाल भारत के विरुद्ध नफ़रत फैलाने के लिए कर रहा है। इतना ही नहीं पाकिस्तान अक्सर संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर भारत के विरुद्ध ‘हेट स्पीच’ देता है।
Pakistan should self-evaluate on protecting minorities instead of making hate speeches: India
— ANI Digital (@ani_digital) September 10, 2020
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ऐसा ज़्यादातर तब होता है जब पाकिस्तान सीमा के भीतर और बाहर ‘हिंसा की संस्कृति’ को बढ़ावा देता है। पाकिस्तान को भारत पर किसी भी तरह का आरोप लगा लेने से पहले यह समझना चाहिए कि भारत में संविधान से ऊपर कोई नहीं है। भारत का संविधान सभी को बराबर का अधिकार देता है। इसलिए पाकिस्तान को पहले अपने देश के भीतर हालात सुधारने चाहिए फिर आरोप लगाना चाहिए।
इसके बाद पॉलोमी त्रिपाठी ने कहा, “मानवाधिकार उल्लंघन और धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों को लेकर जैसा रवैया पाकिस्तान का रहा है वह देश ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों के लिए चिंता का विषय है। पाकिस्तान में ईश निंदा से संबंधित कई तरह के क़ानून बनाए जा चुके हैं जिनकी मदद से वहाँ मौजूद अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का हनन किया जाता है। खासकर जिस तरह पाकिस्तान में लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ किया जाता है वह निंदनीय है।” पॉलोमी त्रिपाठी ने ईश निंदा के क़ानून पर आगे बोलते हुए कहा इसका इस्तेमाल ज़्यादातर पाकिस्तान में मौजूद हिंदुओं, सिखों और ईसाईयों के विरुद्ध किया जाता है।
इसके बाद पॉलोमी त्रिपाठी ने पाकिस्तान में महिलाओं के साथ हो रहे भयावह बर्ताव का उल्लेख किया। उनके मुताबिक़ पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति हमेशा से बुरी रही है लेकिन हाल फ़िलहाल में दयनीय हो चुकी है। वहाँ लड़कियों और महिलाओं का अपहरण होता है, उनके साथ बलात्कार क्या जाता है, उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। अंत में उनका विवाह आरोपित से ही करा दिया जाता है। महामारी के दौरान पाकिस्तान में हालात और बदतर हो चुके हैं।