फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के हिंदू विरोधी दंगों के दौरान पुलिस कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत हो गई थी। डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार जख्मी हो गए थे। इन पर मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ ने हमला किया था।
‘दिल्ली राइट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी (Delhi Riots 2020: The Untold Story)’ नामक पुस्तक में इस घटना का विस्तार से ब्यौरा दिया गया है। इसके कुछ पन्ने मोनिका अरोड़ा ने ट्विटर पर शेयर कर बताया है कि महिलाओं ने बुर्के के भीतर चाकू और तलवार तक छिपा रखे थे। शीघ्र प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक को मोनिका अरोड़ा ने सोनाली चितालकर और प्रेरणा मल्होत्रा के साथ मिलकर लिखा है।
DCP Amit Sharma was called by women blocking road to talk.
— Monika Arora (@advmonikaarora) September 18, 2020
He went. These women took out knives & swords from under their burqa & attacked him.
He was rescued by other police men,taken to nearby nursing home.
Even that nursing home was burnt by Jehadis#DelhiRiotsTheUntoldStory pic.twitter.com/28Cou3hpUy
मोनिका ने ट्वीट कर कहा है कि रोड ब्लॉक करने वाली महिलाओं के बुलाने पर डीसीपी अमित शर्मा बातचीत के लिए मौके पर पहुॅंचे थे। इन महिलाओं ने बुर्के में छिपाकर रखे गए चाकू और तलवार से उन पर हमला कर दिया। दूसरे पुलिसकर्मियों ने उन्हें बचाया और नजदीकी नर्सिंग होम में ले गए। लेकिन जेहादियों ने इस नर्सिंग होम को भी जला दिया था।
किताब में लिखा गया है कि डीसीपी अमित शर्मा को मोहन नर्सिंग होम ले जाया गया। कॉन्स्टेबल रतनलाल पहले ही वहॉं पहुॅंचाए जा चुके थे। प्राथमिक उपचार के बाद दोनों को गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) ले जाने का फैसला किया गया। दंगाइयों ने हॉस्पिटल तक पुलिस का पीछा किया। पथराव और तोड़फोड़ की। मोहन नर्सिंग होम और डीसीपी के आधिकारिक वाहन को आग के हवाले कर दिया। अमित शर्मा और रतनलाल को निजी वाहन से जीटीबी ले जाना पड़ा, लेकिन रतनलाल की जान नहीं बचाई जा सकी।
किताब के जो अंश मोनिका ने साझा किए हैं, उसमें बताया गया है कि शहादरा के डीसीपी अमित शर्मा विशेष रूप से चॉंदबाग में तैनात थे। यह इलाका उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दयालपुर थाना क्षेत्र के तहत आता है। उनके साथ गोकुलपुरी के एसीपी अनुज कुमार, हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल और बृजेश तथा अन्य पुलिसकर्मी थे। उस दिन सीएए प्रदर्शनकारियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। वजीराबाद रोड के आगे पीछे चूँकि मुस्लिम बहुल इलाके हैं- बृजपुरी, चाँदबाग, मुस्तफाबाद आदि। समुदाय विशेष के हजारों लोग उन गलियों से निकल कर सड़कों पर आ गए। भजनपुरा रोड की ओर आगे बढ़ते हुए इन दंगाइयों की भीड़ ने पुलिस को वहाँ से निकाल दिया। इन गलियों से निकलने वाले लोगों में ‘मुस्लिम’ महिलाएँ भी अच्छी खासी संख्या में थी।
किताब में लिखा है, डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज शर्मा अन्य दो कॉन्सटेबल के साथ बातचीत करने गए और रोड को ब्लॉक होने से रोकने का प्रयास किया। इस बीच भीड़ आक्रामक हो गई और उनकी संख्या हजारों में पहुँच गई। थोड़ी देर में वहाँ हिंसा शुरू हो गई। प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने अपने बुर्के में छिपाए पत्थर, चाकू और तलवार से पुलिस अधिकारियों पर हमला कर दिया।
इस दंगाई भीड़ में शामिल महिलाओं तक ने पुलिस अधिकारियों का पत्थर, डंडे और रॉड लेकर पीछा किया। वह लगातार पुलिस पर पत्थरबाजी और रॉड से हमला करते रहे। कुछ हिंदुओं ने पुलिस को समुदाय विशेष की दंगाई भीड़ से बचाया। इसके बाद सोशल मीडिया पर पुलिस पर हमले की दर्दनाक वीडियो सोशल मीडिया पर हर जगह देखी गई।