चुनावों का दिन जैसे-जैसे समीप आ रहा है, कॉन्ग्रेस नेताओं और गठबंधन सहयोगियों के बयानों का स्तर उतना ही नीचा होता जा रहा है। महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस के महागठबंधन के साथी दल पीपल रिपब्लिकन पार्टी (पीआरपी) के सुप्रीमो जोगेंद्र कडावड़े के बेटे जयदीप कडावड़े ने भाजपा नेत्री और केन्द्रीय कपड़ा उद्योग मंत्री स्मृति ईरानी पर चारित्रिक हनन करता हुआ बयान दिया है।
“स्मृति ईरानी गडकरी के बगल में बैठती है और संविधान बदलने की बात करती है। मैं बताता हूँ स्मृति ईरानी के बारे में। वो सर पर बड़ी सी बिंदी लगाती है और किसी ने मुझे बताया है कि जो औरत पति बहुत बार बदलती है, उसकी बिंदी का आकार उसी (पति बदलने के) हिसाब से बढ़ता जाता है।” कडावड़े के यह शब्द थे। उन्होंने इसके आगे स्मृति ईरानी को सीधे-सीधे संबोधित करते हुए यह ‘जानकारी’ दी कि संविधान बदलना पति बदलने जितना आसान नहीं है।
जयदीप कडावड़े की पीआरपी महागठबंधन के महाराष्ट्र संस्करण का हिस्सा है और कॉन्ग्रेस, शरद पवार की राकांपा और ‘भारत की किसान मजदूर पार्टी’ नामक मार्क्सवादी पार्टी इस संस्करण के अन्य भाग हैं।
स्मृति ने ठोंक रखी है अमेठी से ताल
स्मृति ईरानी को भाजपा ने लगातार दूसरी बार अमेठी से लोकसभा का टिकट दिया है। पिछली बार भाजपा ने स्मृति को हालाँकि बहुत देर से अपना प्रत्याशी बनाया था और स्मृति चुनाव प्रचार करने भी आखिरी दस ही दिनों में ही पहुँचीं थीं, पर तब भी उन्होंने राहुल गाँधी के जीत के अंतर को एक-चौथाई से भी कम में समेट दिया था।
2009 में जहाँ राहुल गाँधी अपना चुनाव 4 लाख मतों से ज्यादा में जीते थे, वहीं 2014 में स्मृति ने दस दिन के भीतर इस अंतर को 1 लाख से कुछ ऊपर ही छोड़ा था।
इसके बाद स्मृति ने 5 साल तक अमेठी से लगातार संपर्क बनाए रखा और सांसद न होते हुए भी कई विकास कार्यों का प्रबंध किया था। माना जा रहा है कि स्मृति के इस तरह अमेठी में जनसंपर्क और जनाधार बनाने और बढ़ाने के चलते ही राहुल गाँधी अमेठी के अलावा एक और ‘सुरक्षित’ सीट तलाशने को मजबूर हुए।
राहुल गाँधी अमेठी के अलावा केरल के वायनाड जिले से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
पहले भी हो चुके हैं स्मृति पर अभद्र राजनीतिक हमले
पिछले साल राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने स्मृति ईरानी को ‘हट्टी-कट्टी गाय’ कहा था। इसके अलावा कॉन्ग्रेस के तत्कालीन प्रवक्ता संजय निरुपम भी ईरानी को एक बार ‘टीवी पर ठुमके लगाने वाली’ कह चुके हैं।
स्मृति ईरानी ने जनवरी में बयान दिया था कि अमेठी का विकास राहुल गाँधी के पुरुषार्थ को चुनौती है। उसे भी वामपंथी झुकाव वाले टेलीग्राफ ने तोड़-मरोड़कर स्मृति ईरानी के राहुल गाँधी की मर्दानगी को ललकारना बताने का प्रयास किया था।