माननीय उच्चतम न्यायालय ने आज (अप्रैल 15, 2019) निर्वाचन आयोग से कहा कि वह पहले नरेंद्र मोदी पर बनी बायोपिक देख ले उसके बाद निर्णय करे कि इस फिल्म को चुनाव के समय रिलीज़ करना है या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने आयोग को निर्देश दिया कि वह फिल्म को देखे और 22 अप्रैल तक अपना मत एक सीलबंद लिफाफे में प्रदान करे।
#ModiBiopic: Supreme Court asks Election Commission to watch the movie and take a call.
— Bar & Bench (@barandbench) April 15, 2019
Matter adjourned till then.
फिल्म के निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि निर्वाचन आयोग ने बिना फिल्म को देखे ही उसकी रिलीज़ पर बैन लगा दिया था। इसलिए न्यायालय ने आयोग से कहा कि पहले वह फिल्म को देखे फिर उसकी रिलीज़ पर निर्णय ले। तब तक के लिए न्यायालय की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
इसके पहले निर्वाचन आयोग ने यह कहकर फिल्म को रिलीज़ होने से रुकवा दिया था कि इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना है। निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि फिल्म में दिखाए गए राजनैतिक दृश्य सोशल मीडिया में प्रचारित हो रही चीज़ों को सच मानने का भ्रम उत्पन्न कर सकते हैं।
आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता में सभी पार्टियों को समान अवसर प्राप्त कराने के लिए और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव के समय फिल्म की विषयवस्तु में परिवर्तन आवश्यक था। आयोग ने फिल्म पर बैन लगाने के पीछे आचार संहिता का हवाला भी दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले विवेक ओबेरॉय द्वारा अभिनीत नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म को रिलीज़ करने की अनुमति दे दी थी। फिल्म पहले 5 अप्रैल को रिलीज़ होने वाली थी लेकिन विपक्षी दलों की आपत्ति के कारण इसकी रिलीज़ 11 अप्रैल तक टल गई थी। फिर निर्वाचन आयोग के आदेश के कारण इसकी रिलीज़ पर अनिश्चितकालीन बैन लग गया था जिसके बाद निर्माताओं ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।