Saturday, November 23, 2024
Homeराजनीतिक्या इस बार 'शशि' थरूर को लगेगा ग्रहण?

क्या इस बार ‘शशि’ थरूर को लगेगा ग्रहण?

दोनों ही दल/गठबंधन ‘भाजपा आएगी तो दंगे हो जाएंगे’ का भय दिखाकर गैर-हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद में हैं, और इसीलिए वे राजशेखरन को भी ‘खतरनाक संघी’ के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। ऐसे में यदि यह वोट बँटते हैं, तो राजशेखरन फायदे में रहेंगे और शशि थरूर हारेंगे।

दो बार तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य और प्रख्यात लेखक डॉ शशि थरूर के लिए इस बार लोकसभा की राह आसान नहीं लग रही है। इकॉनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक भाजपा के कुम्मानम राजशेखरन ने उनकी ताकत में बहुत हद तक सेंध लगा दी है। पिछली बार आखिरी दौर की गिनती में किसी तरह जीत दर्ज करने वाले थरूर अगर इस बार किसी तरह जीत भी जाते हैं तो यह जीत पिछली बार से भी कम अंतर से होगी।

एलडीएफ-यूडीएफ, दोनों की ज़मीन खींच रहे राजशेखरन

कुम्मानम राजशेखरन कुछ समय पहले तक मिज़ोरम के राज्यपाल थे। भाजपा ने उन्हें वहाँ से विशेष तौर पर शशि थरूर को चुनौती देने के लिए वापिस बुलाया है और राजशेखरन कॉन्ग्रेस के यूडीएफ और वाम दलों के गठबंधन एलडीएफ दोनों के ही वोट बैंक को खींच रहे हैं। वाम के खिलाफ उनकी ताकत सबरीमाला पर भाजपा और संघ की लंबी चल रही लड़ाई है, जिसमें भाजपा के घोषणापत्र में सबरीमाला की आस्था के सम्मान की बात शामिल है; वाम दलों वाली सरकार ने न केवल परंपरा भाग करने की अदालत में पैरवी की, बल्कि हिन्दुओं में अपनी आस्था के अपमान के तौर पर देखे जा रहे निर्णय को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं शशि थरूर एक लोकसभा सदस्य के तौर पर क्षेत्र को नज़रंदाज़ करने के आरोप के अलावा कॉन्ग्रेस की कमजोर राष्ट्रीय छवि के चलते भी बैकफुट पर हैं।

पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजनयिक थरूर, जो एक समय संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बनते-बनते रह गए थे, अपने 2009 के पहले चुनाव के बाद से ही तिरुवनंतपुरम की ‘शान’ माने जाते हैं। अपनी विक्टोरियन अंग्रेजी के लिए सोशल मीडिया पर जाने जाने वाले थरूर अपने पहले चुनाव में सीपीआइ के पी. रामचंद्रन नायर को एक लाख के करीब मतों से पराजित कर लोकसभा पहुँचे थे। उनके व्यक्तिगत मतदाताओं में एक बड़ा वर्ग महिलाओं और युवाओं का मन जाता है, जिसमें वह बहुत लोकप्रिय रहे हैं

पिछली बार भी बहुत कम था जीत का अंतर, वाम के खराब प्रदर्शन का ‘भरोसा’

शशि थरूर की व्यक्तिगत लोकप्रियता के बावजूद 2014 के गत लोकसभा चुनावों में उनकी जीत का अंतर महज 15,000 वोटों का था, और दूसरे स्थान पर रहे थे नेमोम विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक ओ राजगोपाल। राजगोपाल राज्य भाजपा के कद्दावर नेता हैं।

शशि थरूर के वर्तमान भाजपाई प्रतिद्वंद्वी राजशेखरन भी कमोबेश उसी कद के नेता हैं, और अब उनके पास नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज का ‘रिपोर्ट कार्ड’ भी है। ऐसे में शशि थरूर की जीत का पूरा गणित तीसरे प्रतिद्वंद्वी, एलडीएफ के सी दिवाकरण, के खराब प्रदर्शन पर टिका है।

ऐसा इसलिए कि दोनों ही दल/गठबंधन ‘भाजपा आएगी तो दंगे हो जाएंगे’ का भय दिखाकर गैर-हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद में हैं, और इसीलिए वे राजशेखरन को भी ‘खतरनाक संघी’ के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। ऐसे में यदि यह वोट बँटते हैं, तो राजशेखरन फायदे में रहेंगे और शशि थरूर हारेंगे। उनकी जीत तभी सम्भव है अगर या तो ध्रुवीकरण हो ही नहीं, और अगर हो तो गैर हिन्दू वोट बँटने की बजाय एकमुश्त उनकी झोली में आ गिरे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम लड़की और हिन्दू लड़के ने की मंदिर में शादी, अब्बू ने ‘दामाद’ पर ही करवा दी रेप की FIR: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने...

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हिन्दू युवक को मुस्लिम लड़की से शादी करने के आधार पर जमानत दे दी। लड़के पर इसी लड़की के अपहरण और रेप का मामला दर्ज है।

कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने दिखानी चाही PM और गौतम अडानी की तस्वीर, दिखा दी अडानी और रॉबर्ट वाड्रा की फोटो: पैनलिस्ट ने कहा, ये ‘जीजा...

शो में शामिल OnlyFact India के संस्थापक विजय पटेल ने मजाक में कहा, "यह फोटो मोदी जी के साथ नहीं, जीजा जी (राहुल गाँधी के बहनोई) के साथ है।"
- विज्ञापन -