भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के 19 प्रोफेसरों व पूर्व कुलपति के ख़िलाफ़ एफआईर दर्ज की गई है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के 19 प्रोफेसरों व एक पूर्व कुलपति के ख़िलाफ़ ये एफआईआर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज की गई। सभी प्रोफेसरों पर धोखाधड़ी एवं आपराधिक षड़यंत्र का आरोप दर्ज किया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि 2003 से 2018 तक संस्थान में यूजीसी के नियमों को ताक पर रखते हुए नियुक्तियाँ की गई हैं। इन 15 वर्षों में मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार थी।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह बघेल ने पत्र लिखकर इस बात की शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन इस कार्रवाई के बाद उन्होंने भी कहा कि ईओडब्ल्यू को जाँच के बाद ही कोई क़दम उठाना चाहिए था। पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला और 19 अन्य प्रोफेसरों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधा है। सिन्हा ने कहा कि कमलनाथ सरकार शिक्षाविदों की आवाज़ दबाने का कार्य कर रही है।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय के २० शिक्षकों पर वैचारिक -राजनीतिक बदले की भावना से FIR दर्ज किया गया है इनमे 4दलित और 1अनुसूचित जाति के भी शिक्षक हैं . कमलनाथ सरकार विश्वविद्यालय act को ताक पर रखकर काम कर रही है @VPSecretariat @narendramodi pic.twitter.com/B0dMhmKRFZ
— Chowkidar Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) April 21, 2019
आरएसएस विचारक सिन्हा ने कहा कि नए कुलपति दीपक तिवारी की नियुक्ति में मध्य प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया। जैसा कि नियम है, महापरिषद की बैठक बुलाकर अनुमोदन करना होता है, जो इस मामले में नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि ये नियुक्ति ग़लत तरीके से हुई है। अकेडमिशियन्स फॉर फ्रीडम के बैनर तले बोलते हुए सांसद सिन्हा ने कमलनाथ सरकार पर एकपक्षीय कार्रवाई करने और आरोपितों का पक्ष नहीं सुनने का आरोप भी मढ़ा।
इस मामले को लेकर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को ज्ञापन सौंपने के बाद राकेश सिन्हा ने पूरे मामले पर मुख्यमंत्री कमलनाथ को घेरते हुए कहा:
“कमलनाथ सरकार के सात विधायक विद्रोह पर उतर आए हैं। ये सातों विधायक विवि के ख़िलाफ़ कार्रवाई से नाखुश हैं। कॉन्ग्रेस के तीन अन्य विधायक भी मुझसे मिलने वाले हैं। यह लड़खड़ाती हुई सरकार कभी भी गिर सकती है। अगर विवि के प्रोफेसरों पर से एफआईआर वापस नहीं हुई तो पूरे देश के शैक्षणिक संस्थाओं के साथ आंदोलन करेंगे।”
माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी में गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्य कर चुके सिन्हा ने कहा कि ये दिल्ली विश्वविद्यालय और एमसीयू के बीच सर्विसेज के ट्रांसफर का मामला है। उनके इसके लिए दोनों जगहों से कोई सैलरी नहीं मिली। उन्होंने बताया कि उन्हें राष्ट्रपति की तरफ से पाँच लाख रुपए ज़रूर मिले लेकिन उन्होंने इन रुपयों से अपनी बीमार माँ का उपचार कराने की जगह एक एक दलित परिवार की मदद की। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस राशि को दलित परिवार को दान दे दिया।
राकेश सिन्हा ने कमलनाथ सरकार पर राज्य में आपातकाल जैसा माहौल पैदा करने का आरोप लगाया। राकेश सिन्हा पर बिना पढ़ाई भुगतान लेने का मामला दर्ज किया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि कुठियाला ने अपने कार्यकाल के दौरान एबीवीपी, राकेश सिन्हा सहित अन्य संस्थाओं व व्यक्तियों को फायदा पहुँचाया। सिन्हा ने कहा कि संघ से जुडी किसी भी संस्था को वित्तीय फ़ायदा नहीं पहुँचाया गया। उन्होंने कहा कि कमलनाथ दलित विरोधी हैं क्योंकि इन 20 प्रोफेसरों में से कई दलित भी हैं।