पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार की आए दिन नई तस्वीर सामने आती है। हालिया मामला लाहौर में बने एक मेंटल हॉस्पिटल का है। यहाँ हॉस्पिटल के भीतर एक चर्च है। कुछ दिन पहले इस चर्च पर मुस्लिम नर्सों ने कब्जा कर इस्लामी गीत गाया। कथिततौर पर इस दौरान ईसाई स्टाफ को धमकी देते हुए कहा गया कि या तो वह धर्म परिवर्तन करें वरना उनपर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया जाएगा।
Another false blasphemy case against a Christian nurse. Muslim staff tried to lynch her, accupied & desecrate a Church in Mental Hospital, jail road Lahore-Pakistan. They demanding dismissal of all Non-Muslim hospital staff@Europarl_EN@weimers @petervdalen @EvinIncir @bueti pic.twitter.com/vyCXuZUikF
— Rahat Austin (@johnaustin47) May 2, 2021
पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाने वाले एक्टिविस्ट राहत ऑस्टिन ने इस मुद्दे को उठाया। उनके मुताबिक ये मामला ईसाई नर्स से जुड़ा है, जिनपर ईशनिंदा का इल्जाम लगाने के बाद उनकी लिंचिंग का प्रयास हुआ और साथ ही चर्च पर कब्जा करके वहाँ गीत गुनगुनाया गया। कट्टरपंथियों की माँग थी कि अस्पताल से हर गैर मुस्लिम कर्मचारी को निकाला जाए, सिर्फ इसलिए क्योंकि उनमें से एक ईशनिंदा का आरोपित है।
Another false blasphemy case against a Christian nurse. Muslim staff tried to lynch her, accupied & desecrate a Church in Mental Hospital, jail road Lahore-Pakistan. They demanding dismissal of all Non-Muslim hospital staff@Europarl_EN@weimers @petervdalen @EvinIncir @bueti pic.twitter.com/fwSewlwt6o
— Rahat Austin (@johnaustin47) May 2, 2021
समहति संवाद के अनुसार, अप्रैल में यहाँ दो ईसाई नर्सों पर ईशनिंदा कानून के उल्लंघन का आरोप लगा, जिन्हें उनकी किसी मुस्लिम सहकर्मी ने इस्लामिक स्टिकर खराब करते देखा था।
In Lahore’s Mental hospital a medical mob took siege of the in-house church. Muslim nurses seen reciting naats in the church. The Christian staff was threatened to convert or face blasphemy charges and the hospital administration asked to sack all non-Muslim workers. pic.twitter.com/kZO7If2Gr7
— Naila Inayat (@nailainayat) May 3, 2021
वहीं पाकिस्तान की मशहूर पत्रकार नायला इनायत ने इस मामले को उजागर करते हुए बताया कि ईसाई नर्सों के खिलाफ ईशनिंदा-हिंसा का यह तीसरा बड़ा मामला है। उन्होंने बताया कि इसी साल कराची में एक नर्स और फैसलाबाद में एक नर्स के खिलाफ कथित ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।
No case of blasphemy has been registered against the nurses who desecrated the church. This is the third case of blasphemy-violence against Christian staff nurses. A nurse in Karachi and two nurses in Faisalabad have been booked over alleged blasphemy this year.
— Naila Inayat (@nailainayat) May 3, 2021
अब पाकिस्तानी मुस्लिम नर्सों के इस कृत्य की सोशल मीडिया में जमकर आलोचना हो रही है। यूजर्स का कहना है कि कट्टरपंथ के मामले में पाकिस्तान कभी नहीं बदलेगा। वहीं कुछ का पूछना है कि क्या ये चर्च छीनने की कोशिश थी।
This country 🇵🇰 will never change, expecting them to change is futile.
— माननीय सदस्य (@manniyesadasya) May 2, 2021