Sunday, September 8, 2024
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हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए अस्पतालों का इस्तेमाल करने वाले थे IMA प्रमुख, अब बाबा रामदेव पर निशाना: जानिए क्या है मामला

''लोग कह रहे हैं कि यह क्या तमाशा हो रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप बॉडी का तापमान उतार देते हो, लेकिन शरीर के अंदर उस वायरस को खत्म नहीं कर रहे हो। इसी कारण बुखार हो रहा है उसका निवारण तो तुम्हारे पास है नहीं। इसलिए मैं जो बात कह रहा हूँ, उस पर हो सकता है कि कुछ लोग बड़ा विवाद खड़ा करें।''

कोरोना संक्रमण में इलाज के बावजूद हो रही मौतों पर बाबा रामदेव का एक वीडियो वायरल होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने उनके खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है। वायरल वीडियो में रामदेव कहते हैं कि एलोपैथी दवाएँ खाने से लाखों लोगों की मौत हुई। इसको लेकर आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है। उन्होंने कहा अगर स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर संज्ञान नहीं लेता, तो वह कोर्ट जाएँगे।

आईएमए ने विशेष रूप से दो बयानों पर आपत्ति जताई। वायरल वीडियो में रामदेव ने कहा, ”एलोपैथी ऐसी बेकार साइंस है कि पहले इनकी हाइड्रोऑक्सीक्लोरोक्वीन फेल हो गई, फिर रेमडेसिविर फेल हो गई। फिर एंटीबायोटिक्स इनके फेल हो गए, स्टेरॉयड फेल हो गए। प्लाज्मा थेरेपी के ऊपर भी बैन लग गया। आइवरमेक्टिन भी फेल हो गई। बुखार के लिए फैबिफ्लू दे रहे हैं, वो भी फेल है।”

रामदेव ने आगे कहा, ”लोग कह रहे हैं कि यह क्या तमाशा हो रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप बॉडी का तापमान उतार देते हो, लेकिन शरीर के अंदर उस वायरस को खत्म नहीं कर रहे हो। इसी कारण बुखार हो रहा है उसका निवारण तो तुम्हारे पास है नहीं। इसलिए मैं जो बात कह रहा हूँ, उस पर हो सकता है कि कुछ लोग बड़ा विवाद खड़ा करें।” उन्होंने कहा कि लाखों लोगों की मौत एलोपैथी की दवा खाने से हुई है। जितने लोगों की मौत अस्पताल न जाने और ऑक्सीजन नहीं मिलने से हुई है, उससे कहीं ज्यादा मौतें एलोपैथी की वजह से हुई है। स्टेरॉयड की वजह से हुई है।

बाबा रामदेव के इन बयानों पर IMA ने कहा, ”भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के साथ महामारी रोग अधिनियम की धारा 3 के तहत, रामदेव पर कई लोगों के जीवन को खतरे में डालने और एलोपैथी दवाओं को लेकर झूठी अफवाह फैलाने के लिए उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। दवाओं को लेकर उनका बयान हास्यास्पद और बचकाना है। ये दवाओं पर किए गए उनके कथित गहन अध्ययन को दर्शाता है।”

डॉ JA जयलाल और ईसाई प्रेम

IMA द्वारा जारी इस पत्र पर आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जे ए जयलाल और मानद महासचिव डॉ जयेश एम लेले के हस्ताक्षर थे। ये वही डॉ जयलाल हैं, जो इस साल की शुरुआत में खुद ही कुछ ऐसा बोल गए, जिससे एक विवाद में फँस गए थे, जब उन्होंने कहा था कि वह हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए अस्पतालों का इस्तेमाल करना चाहते थे।

डॉ जयलाल ने कहा था कि वे चाहते हैं कि IMA ‘जीसस क्राइस्ट के प्यार’ को साझा करे और सभी को भरोसा दिलाए कि जीसस ही व्यक्तिगत रूप से रक्षा करने वाले हैं। उन्होंने कहा था कि चर्चों और ईसाई दयाभाव के कारण ही विश्व में पिछली कई महामारियों और रोगों का इलाज आया।

उन्होंने ईसाई संस्थाओं में भी गॉस्पेल (ईसाई सन्देश) को साझा करने की ज़रूरत पर बल दिया था। उन्होंने IMA में अपने अध्यक्षीय भाषण में भी कहा था कि आज जो भी हैं वह ‘सर्वशक्तिमान ईश्वर जीसस क्राइस्ट’ का गिफ्ट है और कल जो होंगे, वे भी उनका ही गिफ्ट होगा। उन्होंने इस दौरान मदर टेरेसा के उद्धरण का जिक्र किया था, जिन पर पहले से ही ईसाई धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं। ‘क्रिस्चियन टुडे’ के इंटरव्यू में भी उन्होंने बताया कि कैसे महामारी के बावजूद ईसाई मजहब आगे बढ़ रहा है।

इसके अलावा, डॉक्टर JA जयलाल यहीं पीछे नहीं रहते। उन्होंने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार इसलिए आयुर्वेद में विश्वास करती है, क्योंकि उसके सांस्कृतिक मूल्य और पारंपरिक आस्था हिंदुत्व में है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 3-4 वर्षों से आधुनिक मेडिसिन की जगह आयुर्वेद को लाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी और योग इत्यादि की जड़ें संस्कृत में हैं, जो हिंदुत्व की भाषा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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