मंगलवार (14 मई) को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली में हिंसा की ख़बरों के बाद कोलकाता में हड़कंप का माहौल बन गया। इस हिंसा में विद्यासागर कॉलेज में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की एक मूर्ति को तोड़ दिया गया। जैसे-जैसे यह मुद्दा बढ़ता गया, वैसे-वैसे इस मामले को लेकर सियासी-खेल भी परवान चढ़ता गया।
जहाँ एक तरफ़, ममता बनर्जी ने बंगाली क्षेत्रीय अराजकतावाद का आह्वान किया, वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तृणमूल पर हिंसा का आरोप लगाने और मूर्ति तोड़ने के सबूत पेश किए। AltNews ने इसी ख़बर का फ़ैक्ट-चेक करने का दावा किया।
अपने फ़ैक्ट-चेक में, AltNews ने एक ऐसे वीडियो को दिखाया गया जिसमें केवल भाजपा कार्याकर्ता कॉलेज परिसर के अंदर पत्थर फेंकते दिखे। जबकि सच्चाई यह है कि इस हमले की शुरूआत तृणमूल कॉन्ग्रेस ने की थी। इस वीडियो के माध्यम से AltNews ने यह दावा किया कि कॉलेज के अंदर से कोई पत्थर बाहर नहीं फेंका गया।
वहीं, फ़ैक्ट-चेक करने वाली वेबसाइट फ़ैक्ट हंट द्वारा उसी वीडियो को दिखाया गया जिसमें यह स्पष्ट है कि कॉलेज के अंदर से भी पत्थर बाहर फेंके जा रहे थे, यानी कि हमले की शुरूआत कॉलेज के अंदर से की गई थी। फ़ैक्ट हंट का यह वीडियो लगभग 1 मिनट 12 सेकंड का था, जबकि AltNews ने जिस वीडियो को दिखाकर फ़ैक्ट-चेक किया, असल में वो पूरा वीडियो न होकर मात्र 36 सेकंड का था। इसमें AltNews ने बड़ी आसानी से सच्चाई को नज़रअंदाज़ किया और फ़ैक्ट-न्यूज़ के नाम पर बीजेपी को दोषी ठहराने का भरसक प्रयास किया।
In the slowed down video stone or some object was thrown twice from the inside (8-10 sec & 19-21 sec). Man in white started seeing the object (after 8th sec) that came from inside..a man in turban threw a stone inside..at the same time an object was seen coming from inside.
— Fact Hunt (@facthunt_in) May 17, 2019
In the original video used by @AltNews the relevant section is from 36th seconds onward.https://t.co/jnEzg4mwJQ
— Fact Hunt (@facthunt_in) May 17, 2019
सच्चाई सामने आने पर AltNews को ग़लती स्वीकारते हुए अपने लेख को अपडेट करना पड़ा और यह लिखना पड़ा कि पत्थरबाजी कॉलेज के अंदर से भी हुई थी। AltNews ने इस पत्थरबाजी को ‘प्रतिशोध’ का नाम दिया और ऐसा प्रचारित किया कि पथराव की शुरूआत भाजपा के कार्यकर्ताओं ने की थी।
AltNews ने अपने पूरे फ़ैक्ट-चेक में यही सिद्ध करने की कोशिश की कि विद्यासागर कॉलेज में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को तोड़ने वाले लोग केवल बीजेपी के ही कार्यकर्ता थे।
यह बड़ी हैरानी वाली बात है कि AltNews के इस फ़ैक्ट-चेक का आधार केवल भगवा वस्त्र है। उनके लिए भगवा पहनने वाले सभी लोग केवल भाजपा कार्यकर्ता ही हो सकते हैं। AltNews के पास इतना दिमाग नहीं है कि वो यह भी सोच सकें कि लोगों को बेवकूफ़ बनाने के लिए तृणमूल के गुंडे भी भगवा पहनकर अराजकता फैला सकते हैं।
इस मामले में कौन दोषी है, कौन दोषी नहीं है, यह पता करना पुलिस का काम है, न कि किसी तथाकथित फ़ैक्ट-चेक कंपनी का। AltNews के फ़ैक्ट चेक को देखकर लगता है कि वो टीवी पर आने वाले CID सीरियल को बहुत देखते हैं जहाँ वो ACP प्रद्युम्न और उनकी टीम से काफ़ी प्रेरित हैं। AltNews के संस्थापक और उसकी टीम को गंभीर होकर यह सोचना चाहिए कि यह कोई जासूसी सीरियल नहीं है, बल्कि असल घटना है जिसका दुष्प्रचार कतई नहीं किया जाना चाहिए।
AltNews के सह-संस्थापकों को प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ घृणा फैलाने जैसे अपने निजी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए झूठी ख़बरे फैलाने के लिए जाना जाता है। हाल ही में, प्रतीक सिन्हा ने नरेंद्र मोदी के दोषी सांसदों और विधायकों को जेल भेजने के चुनावी वादे के बारे में झूठ बोला था।
इससे पहले AltNews ने पत्रकार बरखा दत्त के फ़ैक्ट-चेक के क्लिप्ड वीडियो की माँग की। लेकिन दिलचस्प रूप से, उन बिंदुओं को छोड़ दिया, जहाँ वास्तव में घाटी में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का संदर्भ था। AltNews ने आर्मी से सेवानिवृत्त प्रमुख का भी फैक्ट चेक किया, लेकिन बिना सोचे-समझे आर्मी चीफ़ के पक्ष को नज़रअंदाज़ कर दिया। इसके बाद AltNews ने एक फ़ेक इमेज का फैक्ट चेक करके उसे प्रसारित किया, वो भी बिना सही जानकारी दिए। AltNews के सह-संस्थापक बड़ी आसानी से झूठ फैला कर अपना मंतव्य सिद्ध कर लेते हैं। ऐसा ही उन्होंने कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा की एक फ़ेक इमेज साझा करके की थी।
कई युवाओं द्वारा भारत-विरोधी नारे लगाने की ख़बरों को ख़ारिज करने के लिए वेबसाइट ने कुछ अजीबो-गरीब विश्लेषण किया। जबकि बिहार के डीजीपी ने AltNews के दावों को एक सिरे से ख़ारिज कर दिया। हैरान कर देने वाली बात यह है कि AltNews के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा के चेहरे पर एक शिकन भी देखने को नहीं मिलती जब वो अपने फै़क्ट-चेक के फ़र्ज़ी होने के तथ्य से अवगत हो जाते हैं। AltNews और इसके सहयोगियों ने अतीत में भी बिना किसी सबूत के एक प्रत्यक्षदर्शी की बातों को ख़ारिज कर दिया क्योंकि यह उनके कथन के अनुकूल था। उनके द्वारा खुदरा FDI पर बीजेपी के रुख़ के बारे में और ख़ुद OpIndia.com के बारे में भी झूठ फैलाया गया।