पाकिस्तान के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में लंबे समय तक अशांति फैलाने के आरोप में पकड़े गए अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की बेल याचिका का प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली कोर्ट में मंगलवार (जून 22, 2021) को जमकर विरोध किया। बेल याचिका के विरुद्ध कोर्ट के समक्ष अपना जवाब दाखिल करते हुए ईडी ने कहा कि शब्बीर शाह बड़ी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है और आतंक फैलाने के मामले में कई देशों से बड़े स्तर फंडिंग जुटाई है।
ED ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में शब्बीर शाह की जमानत के खिलाफ दाखिल हलफनामे में अपनी दलील दी कि शब्बीर शाह, हाफिज सईद समेत कई अंतरराष्ट्रीय आतंकियों और अपराधियों के संपर्क में था, जिनके जरिए वह लगातार कश्मीर में आतंक फैलाने की गतिविधियों को अंजाम देता आया है।
“Shabir Shah (in file photo) was involved in the generation of huge proceeds of crime from various countries including Pakistan to create unrest in Kashmir,” says Enforcement Directorate in a Delhi Court while opposing the separatist leader’s bail plea in a terror funding case pic.twitter.com/eJtZgvtSqX
— ANI (@ANI) June 22, 2021
ईडी ने यह भी बताया कि शब्बीर के ख़िलाफ़ जितने गंभीर आरोप हैं उन पर जाँच की जा रही हैं। साथ ही पाकिस्तान से संबंधित कॉल रिकॉर्ड्स को भी खंगाला जा रहा है। ईडी का आरोप है कि शाह हाफिज सईद के अलावा शफी शायर के साथ भी कॉन्टैक्ट में था, जो भारत की जेल से रिहा होकर पाकिस्तान भाग चुका है।
शाह की जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने कोर्ट में दलील दी कि अगर इस वक्त आरोपित को रिहा किया गया तो भारत के खिलाफ रची जा रही साजिश का भंडाफोड़ करने की कोशिश बेकार जा सकती है। मालूम हो कि शब्बीर शाह की बेल याचिका पर ईडी के जवाब दाखिल करने वाले दिन शाह के वकील ही कोर्ट में मौजूद नहीं हुए। ऐसे में इस मामले की सुनवाई 29 जून तक के लिए टाल दी गई है।
गौरतलब है कि टेरर फंडिग मामले में शब्बीर शाह के अलावा मसरत आलम और आसिया अंद्राबी की भी गिरफ्तारी हुई है। इन्हें NIA कोर्ट में 14 जून को पेश किया गया था। इसके बाद कोर्ट ने तीनों आरोपितों को 30 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
बता दें कि अलगाववादी नेता के ख़िलाफ़ सबसे पहले मामला 2007 में दर्ज हुआ था। ये मामला 2005 में हुई मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर था जिसे टेरर फाइनेंसिंग के उद्देश्य से किया गया। इसके बाद उसे 25 जुलाई 2017 को 2005 वाले इस मामले में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद NIA ने जून 2019 में शाह को हिरासत में लिया। ये कोई अन्य टेरर फंडिग से जुड़े केस था जिसमें हाफिज सईद की संलिप्ता भी थी।