रोजगार सृजन के लिए सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) ने 14 जनवरी, 2019 तक एक करोड़ से अधिक लोगों को लाभ पहुँचा कर कीर्तिमान स्थापित किया है।
पीएमआरपीवाई की घोषणा 7 अगस्त, 2016 को की गई थी और इसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के ज़रिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय लागू कर रहा है। योजना के तहत भारत सरकार नियोक्ता के योगदान का पूरा 12 प्रतिशत का भुगतान कर रही है। इसमें कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी पेंशन योजना दोनों शामिल हैं।
सरकार का यह योगदान उन नए कर्मचारियों के संबंध में तीन वर्षों के लिए है, जिन्हें ईपीएफओ में 1 अप्रैल, 2016 या उसके बाद पंजीकृत किया गया है तथा जिनका मासिक वेतन 15 हजार रुपए तक है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 (जनवरी 15 , 2019 तक) के दौरान क्रमशः 33,031; 33,27,612 और 69,49,436 लाभार्थियों ने पीएमआरपीवाई के तहत ईपीएफओ में पंजीकरण कराया है। योजना के कार्यान्वयन के दौरान लाभान्वित होने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 1.24 लाख है। यह पूरी प्रणाली ऑनलाइन और आधार के ज़रिए चलाई जा रही है।
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना क्या है?
प्रधानमंत्री रोजगार योजना एक तरह से देश के करोड़ों युवाओं के लिए शुरू की गई ऋण योजना है। इस योजना का उद्देश्य विनिर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्र में बिजनेस शुरू करने के इच्छुक भारत के शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवाओं को सब्सिडी युक्त वित्तीय सहायता देना है।
इस योजना का लाभ पाने के लिए आवेदक की आयु 18 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, पूर्व सैनिकों और शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट प्रदान की जाएगी। वहीं उत्तर-पूर्वी राज्यों के निवासियों के लिए आयु सीमा 18 से 40 वर्ष है।
पीएमआरपीवाई के तहत अलग-अलग सेक्टर में मिलने वाली अधिकतम राशि कुछ इस प्रकार है: बिजनेस सेक्टर में ₹2 लाख, सर्विस सेक्टर में ₹5 लाख और इंडस्ट्री सेक्टर ₹5 लाख। वहीं पाटर्नशिप के लिए अगर दो या दो से अधिक लोग शामिल हैं तो ₹10 लाख का लोन मिल सकता है।
साभार: पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार