Friday, November 22, 2024
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बंगाल के बच्चे अब देखेंगे समलैंगिक संबंधों पर बनी 8 शॉर्ट फ़िल्में, स्कूलों में किया जाएगा प्रसारण: ‘समावेशी’ माहौल बनाने का दावा

23 वर्षीय सलीम शेख ने कहा कि उनके कुछ दोस्त 'मेल एस्कॉर्ट्स' हैं, जिनका कहना है कि उनके लिए आत्मसम्मान काफी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इन फिल्म के जरिए वो उनकी बातें व उनके चॉइसेज को समाज के सामने रखना चाहते हैं।

पश्चिम बंगाल के विद्यालयों में बच्चों को अब ‘समावेश (Inclusiveness)’ को लेकर जागरूक करने के लिए समलैंगिक संबंधों पर 8 शॉर्ट फ़िल्में दिखाई जाएँगी। ये ऐसी फ़िल्में हैं, जिन्हें ‘Prayasam’s Bad’ और ‘ब्यूटीफुल वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल’ द्वारा चुना गया है। कोरोना आपदा के बाद अब जब राज्य के शैक्षिक संस्थान धीरे-धीरे खुल रहे हैं, छात्र-छात्राओं को ‘युवा फिल्म निर्देशकों’ द्वारा बनाई गई ये शॉर्ट फ़िल्में दिखाई जाएँगी। Prayasam के बारे में बता दें कि ये ‘संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF)’ से जुड़ी संस्था है।

ये संगठन एक ऐसा माहौल बनाने का दावा करता है, जिसमें युवाओं को खुद को सशक्त महसूस करने को मिले। इन फिल्मों को इन लोगों ने बनाया है, वो हैं – सलीम शेख, मनीष चौधरी, सप्तर्षि रॉय, और अविजित मार्जित। ये सभी नज़रुल पल्ली के महिषबाथान स्थित दाखिंडारी में रहते हैं। ये इलाका राजधानी कोलकाता में ही स्थित है। ये सभी ‘Prasyam विज़ुअल बेसिक्स एशिया’ की आधारभूत फिल्म स्टूडियो के छात्र हैं, जिसे एडोबी (Adobe) नामक कंपनी का समर्थन प्राप्त है।

इनका कहना है कि इन शॉर्ट फिल्मों को बच्चों को दिखा कर ‘समावेशी शिक्षा’ को बढ़ावा दिए जाने का उद्देश्य है। इन लोगों का कहना है कि LGBTQ युवा खुद को समाज से अलग या अवांछित महसूस न करें, इसके लिए ऐसा करना आवश्यक है। ‘Prayasam’s’ के निदेशक प्रशांत रॉय ने कहा कि स्कूलों के खुलते ही उनमें ये शॉर्ट फ़िल्में बच्चों को दिखाई जाएँगी। इन फिल्मों का टाइटल RESH (जिसकी ऊँची और गहरी आवाज़ की प्रकृति हो) रखा गया है।

इसमें समलैंगिक संबंधों से जुड़ी काल्पनिक कहानियाँ दिखाई जाएँगी। साथ ही उसमें भाईचारा, बच्चों के यौन शोषण के प्रति जागरूकता, स्वीकार्यता, पहचान का संकट, और आया मानवीय सवेदनाओं के पहलुओं को दिखाने का भी दावा किया गया है। इनका कहना है कि ये रोचक आइडियाज हैं, लेकिन इनमें सुधार की भी ज़रूरत है। सलीम शेख की ‘देखा’ नामक शॉर्ट फिल्म में एक पिता और उसके गे बेटे की कहानी है। ‘दक्खिना’ में एक ‘मेल एस्कॉर्ट’ की कहानी है, जिसे एक बुजुर्ग शहर में घुमा रहा होता है।

23 वर्षीय सलीम शेख ने कहा कि उनके कुछ दोस्त ‘मेल एस्कॉर्ट्स’ हैं, जिनका कहना है कि उनके लिए आत्मसम्मान काफी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इन फिल्म के जरिए वो उनकी बातें व उनके चॉइसेज को समाज के सामने रखना चाहते हैं। ‘दूरबीन’ नामक शॉर्ट फिल्म में दिखाया गया है कि एक पत्रकार होने लिव-इन पार्टनर को बताता है कि कैसे उसके पिता के निधन के बाद उसे उनके समलैंगिक होने का पता चला। 24 वर्षीय निर्देशक सप्तर्षि रॉय ने कहा कि फिल्म की कहानी सुनते एक्टर्स भाग गए थे, इसीलिए इन्हें समाज को दिखाना बेहद आवश्यक है।

इसी तरह 24 वर्षीय डायरेक्टर मनीष चौधरी ने एक फ़ूड डिलीवरी बॉय और एक व्यक्ति के बीच में विकसित होते समलैंगिक संबंधों पर कहानी बनी है। उन्होंने कहा कि 15 मिनट के भीतर ही उन्होंने ऐसे रिश्तों के समक्ष खड़े होने वाले समाजिक-आर्थिक समस्याओं को एक्सप्लोर किया है। ‘कलान्जलि आर्ट स्पेस’ में होने वाले आठवें ‘बबैड एंड ब्यूटीफुल वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल’ में 3 दिसंबर, 2021 को इस फिल्मों को प्रीमियर किया जाएगा। हालाँकि, इन्हें बच्चों को दिखाए जाने को लेकर विरोध भी हो रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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