पत्रकार विनोद दुआ का शनिवार (4 दिसंबर, 2021) को निधन हो गया। उनकी बेटी कॉमेडियन मल्लिका दुआ ने इंस्टाग्राम के माध्यम से जानकारी देते हुए उन्हें एक असाधारण पिता बताया। विनोद दुआ को दूरदर्शन पर एक फूड शो से पहचान मिली थी। वो कई वामपंथी पोर्टलों के माध्यम से अक्सर मोदी सरकार पर निशाना साधते रहते थे। अब उनके निधन के बाद लोग उनका एक पुराना वीडियो शेयर कर रहे हैं, जो उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद बनाया था।
जिस वीडियो की बात यहाँ की जा रही है, उसे वामपंथी मीडिया संस्थान ‘द वायर’ के यूट्यूब चैनल पर ‘जान गण मन की बात’ नामक शो के 289वें एपिसोड के रूप में 16 अगस्त, 2018 को अपलोड किया था। इस दौरान उन्होंने 93 वर्षीय पूर्व भाजपा अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के देहांत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि हमारे यहाँ एक बहुत बड़ा दिखावा होता है, पाखंड होता है कि जो दिवंगत हो जाए, अर्थात इस दुनिया में न रहे तो उसको अचानक से महापुरुष बना दिया जाता है।
इस वीडियो में विनोद दुआ कहते नजर आए थे, “जिस तरह की श्रद्धांजलियाँ दी जाती हैं, उसे इस तरह से समझा जाता है कि किसी के देहांत के बाद ‘पॉलिटिकली करेक्ट’ रूप से उसकी प्रशंसा करनी चाहिए। हमारे एक बुजुर्ग दोस्त थे – सरदार खुशवंत सिंह। 99 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ था। मुझे और उन्हें, दोनों को स्कॉच का शौक था। एक बार मेरे साथ समय बिताते हुए उन्होंने कहा था कि किसी के निधन के बाद जिस तरह का दिखावा ‘Obituary (मृत्यु के बाद छपी खबर इत्यादि)’ के रूप में हमारे यहाँ होता है, वैसा कहीं नहीं होता।”
इस वीडियो में विनोद दुआ ने कहा था कि किसी के निधन के बाद उसके आखिरी दस्तावेज (Obituary) ऐसा होना चाहिए, जिसमें उसकी अच्छाइयाँ और बुराइयाँ – दोनों हो। उन्होंने इसे ही ‘सच्चाई श्रद्धांजलि’ करार दिया था। उन्होंने कहा था कि इस ‘गोले’ पर उनकी भूमिका पूरी होने के बाद उसका अच्छा विश्लेषण होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने कंधार विमान हाईजैक कांड की बात की थी और बाबरी ढाँचे के दौरान उन पर ‘जमीन समतल करने’ वाला भाषण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसका मतलब ‘साफ़’ था।
व्यक्ति का व्यवहारिक विश्लेषण करना चाहिए।#VinodDua pic.twitter.com/Z7GVRgrTK5
— Shiwanand Dwivedi (@shiwadwivedi) December 4, 2021
विनोद दुआ ने इस वीडियो में आगे कहा था, “अटल बिहारी वाजपेयी पर आरोप लगता रहा कि इन्होंने ‘भारत स छोड़ो आंदोलन’ के दौरान इन्होंने एक कबूलनामा या माफीनामा दिया था कि ग्वालियर में स्वतंत्रता सेनानियों की बैठक में इनका कोई किरदार नहीं था। इसी तरह इनके प्रधानमंत्रित्व काल में पोखरण-II हुआ, जिसके बारे में कहा जाता है कि पार्टी के कट्टरपंथी नेताओं के दबाव में ऐसा किया गया। लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने भी ऐसा कर दिया और उसके परमाणु परीक्षण को वैधता मिल गई। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने इसे कश्मीर से जोड़ कर कहा कि हमारे हाथ अब ज्यादा मजबूत हुए हैं।”
विनोद दुआ इतने पर ही नहीं रुके थे, बल्कि 2002 में गोधरा कांड (जिसमें 59 हिन्दुओं को ट्रेन में ज़िंदा जला दिया गया था) को याद करते हुए कहा था कि इसके बाद जो हुआ, तब प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी से कड़ा निर्णय लेकर तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा था कि वाजपेयी का ताल्लुक हिंदुत्व से था और पहचान इसी से बनी, और RSS की शाखाओं में जाते थे, महात्मा गाँधी की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ आवाज़ उठाई – लेकिन वो दक्षिणपंथ के उदारवादी नेता थे। फिर पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू द्वारा उनकी तारीफ़ की बात की थी।
बताते चलें कि विनोद दुआ की पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है। बेटी मल्लिका दुआ ने लिखा कि अब उनके माता-पिता स्वर्ग में साथ-साथ घूमेंगे, भोजन पकाएँगे और गायन कर के आनंद लेंगे। उन्होंने बताया कि रविवार (5 दिसंबर, 2021) को दोपहर 12 बजे विनोद दुआ का अंतिम संस्कार लोधी क्रेमाटोरियम में किया जाएगा। बता दें कि कुछ दिनों पहले भी विनोद दुआ की मौत की अफवाह उड़ी थी, लेकिन मल्लिका ने इसे नकार दिया था। वो कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।