Sunday, September 8, 2024
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9 जिले, 318 Km, 29 लाख किसानों को लाभ, ₹9800 Cr लागत: 50 साल से अटकी पड़ी थी सरयू नहर परियोजना, योगी सरकार ने की पूरी

यह परियोजना 318 किमी लंबी है। इसे 9800 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है, जिसमें पाँच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को भी जोड़ा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (11 दिसंबर 2021) को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण किया। 9800 करोड़ रुपए की लागत की इस योजना से 9 जिलों के 29 लाख किसानों को लाभ पहुँचने की उम्मीद है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने इस योजना को लेकर ट्वीट किया, ”ये है नया यूपी, सूखे खेत के लिए एक बूँद पानी की खातिर टकटकी लगाए बादलों को ढूँढते किसान भाइयों को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अब तक की सबसे बड़ी सौगात मिलने जा रही है। ये सरयू नहर परियोजना है, जो 50 सालों में असंभव बन चुकी थी, लेकिन इस योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभव कर दिखाया।”

यह परियोजना 318 किमी लंबी है। इसे 9800 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है, जिसमें पाँच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को भी जोड़ा गया है। 6,600 किमी लिंक नहरों वाली उक्त नहर से पूर्वांचल के नौ जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर और गोरखपुर के लाखों किसानों को लाभ मिलेगा।

पिछले चार साल में परियोजना के काम में तेजी

इस परियोजना की परिकल्पना वर्ष 1971 में तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने की थी, जिसे पाँच दशक से अधिक का समय हो गया है। सरयू नहर परियोजना देश के 12 प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के 15 मुख्यमंत्री के कार्यकाल की गवाह बन गई। पिछले चार साल में इस परियोजना के काम में तेजी लाई गई।

इस परियोजना से किसानों को पहुँचेगा लाभ

बता दें कि 1978 में इस परियोजना को शुरू किया गया। उस वक्त इस पर खर्च करने के लिए 78 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। इसके बाद वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने पीएम कृषि सिंचाई योजना शुरू कर हर खेत को पानी पहुँचाने का लक्ष्य रखा। सरयू नहर परियोजना के निर्माण से जहाँ किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए मुफ्त पानी की सुविधा मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ बाढ़ की त्रासदी भी कम होगी। नदियों के पानी का डायवर्जन नहरों में होने से बाढ़ का असर कम होगा। पशु-पक्षी भी अपनी प्यास बुझा सकेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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