विलुप्तप्राय जीव जंतुओं के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन IUCN ने 17 साल पहले 2002 में घोषणा की थी कि मुलायम खोल (सॉफ्ट शेल) वाले काले कछुओं की प्रजाति असम से विलुप्त हो चुकी है। लेकिन, शुक्र है एक मंदिर में रहने वाले कुछ लोगों का जिन्होंने इस प्रजाति को दोबारा जीवन प्रदान किया।
जानकारी के मुताबिक IUCN की घोषणा के दो साल बाद ही पाया गया कि हयग्रीव माधव मंदिर (Hayagriva Madhav temple) में कुछ लोग सदियों पुराने तालाब में दर्जनों कछुओं को पाल रहे हैं। इन लोगों का कहना था उन्होंने कछुओं को संरक्षित इसलिए रखा हुआ है क्योंकि वो मानते हैं ये जीव भगवान विष्णु का पुनर्जन्म हैं।
17 Years After Being Declared Extinct in the Wild, Turtle Species is Saved by Caretakers of Hindu Temple https://t.co/5i1fOt8fy7
— Edward Butler (@EPButler) June 20, 2019
खबरों के अनुसार जयाादित्य पुरकायस्थ जो जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाला समूह ‘गुड अर्थ’ की ओर से मंदिर में कछुओं को बचाने का काम कर रहे हैं उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएफपी से बातचीत में बताया कि कछुओं की प्रजाति असम में दिन पर दिन कम होती जा रही थी। इसलिए उन्होंने सोचा कि उन्हें इन जीवों को बचाने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए जिससे वो विलुप्त न हों। इसके लिए उन्होंने तालाब के पास रेत पर पड़े नए अंडो को इकट्ठा किया और इन्क्यूबेटर के जरिए तब तक गर्माहट पहुँचाई जब तक वो विकसित नहीं हो गया।
कछुओं के संरक्षण और उन्हें दोबारा वन्यजीव के रूप में दर्शाने के लिए turtle breeding proramme को लॉन्च किया गया। लेकिन इन कोशिशों को असली सफलता तब मिली जब जनवरी में संगठन ने 35 कछुओं के शिशुओं को स्थानीय जंगल के तालाबों में छोड़ा, इनमें से 16 मंदिर से लाए गए थे।