Sunday, September 8, 2024
Homeराजनीति'अभी ख़त्म नहीं हुआ है किसान आंदोलन, फिर शुरू हो सकता है': राज्यपाल सत्यपाल...

‘अभी ख़त्म नहीं हुआ है किसान आंदोलन, फिर शुरू हो सकता है’: राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा – खाप के फैसले हमेशा सही

बकौल सत्यपाल मलिक, वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काफी पहले ही आगाह कर चुके थे और जब उनकी समझ में आया तो 'किसान आंदोलन' समाप्त हुआ।

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ‘किसान आंदोलन’ के फिर से शुरू होने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि किसानों पर आँच आई तो उन्हें कोई भी बड़ा पद छोड़ते समय नहीं लगेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘किसान आंदोलन’ अभी ख़त्म नहीं, बल्कि स्थगित हुआ है और कभी भी फिर से शुरू हो सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार को किसानों के साथ ईमानदारी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि किसानों पर दर्ज सभी मामले वापस लिए जाने चाहिए और MSP पर तुरंत कानून बनाया जाना चाहिए।

सत्यपाल मलिक रविवार (2 जनवरी, 2021) को हरियाणा के चरखी दादरी में थे, जहाँ स्वामी दयाल धाम का उन्होंने दर्शन किया और फौगाट खाप द्वारा सम्मानित भी किए गए। उन्होंने खुद को किसानों और समाज के लिए हमेशा तत्पर रहने वाला बताते हुए कहा कि वो इनसे जुड़े मुद्दों के लिए हमेशा अग्रणी खड़े रहेंगे। उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने को किसानों की बड़ी जीत बताते हुए उन्हें सलाह दी कि वो MSP के लिए एकजुट रहें, तभी बात बनेगी।

बकौल सत्यपाल मलिक, वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काफी पहले ही आगाह कर चुके थे और जब उनकी समझ में आया तो ‘किसान आंदोलन’ समाप्त हुआ। MSP को कानूनी रूप देने की माँग करते हुए उन्होंने कहा कि खाप पंचायतों द्वारा लिए जाने वाले फैसले हमेशा सही होते हैं और समाज में एकता भी बनी रहती है। कितलाना टोल महापंचायत पर उनका कहना है कि राजनीतिक षड्यंत्र के कारण वो इसमें शामिल नहीं हुए और राजनीति वाले पंचायतों से वो दूर ही रहते हैं।

वहीं भिवानी के डाडम खनन हादसे पर दुःख जताते हुए उन्होंने कहा कि ये खनन वाले कोई कायदा-कानून नहीं मानते हैं और ये पूरा का पूरा कारोबार ही भ्रष्टाचार से भरा हुआ है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वो खनन माफिया के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे। नवंबर 2021 के एक वायरल वीडियो में वो कहते दिखे थे कि अगर पीएम मोदी कृषि कानून वापस नहीं लेते तो उनका हाल इंदिरा गाँधी जैसा होता। उन्होंने कहा था, “आप सिखों को नहीं हरा सकते। उनके गुरु के चार बच्चे उनकी मौजूदगी में मारे गए थे, लेकिन उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया। आप इन जाटों को भी नहीं हरा सकते हैं।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -