उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार (जून 26, 2019) को एक विधेयक पारित हुआ, जिसके मुताबिक 2 से अधिक संतान वाले लोग अब पंचायत का चुनाव नहीं लड़ पाएँगे। इस विधेयक में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम योग्यता भी तय की गई है और इसे अब पंचायत चुनाव से पहले राज्यपाल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
पंचायत राज अधिनियम 2016 (संशोधन) विधेयक के जरिए राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव जीतने के बाद यदि किसी प्रतिनिधि की तीसरी संतान होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पंचायत के चुनाव इस वर्ष के अंत में होने हैं। ऐसे में इस विधेयक के पारित होने पर संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिश ने कहा है कि विधेयक का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना और उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को निर्धारित करना है।
उत्तराखंड: 2 से अधिक संतान वाले नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव https://t.co/IeKbyZDfkP via @NavbharatTimes pic.twitter.com/LSDopoFjZu
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) June 26, 2019
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक उन्होंने बताया है कि इस विधेयक में सभी पंचायत सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई है। इसके अनुसार सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम योग्यता कक्षा 10 है जबकि अनसूचित जाति और अनसूचित जनजाति की श्रेणियों में पुरूषों के लिए न्यूनतम योग्यता कक्षा 8 और महिलाओं के लिए कक्षा 5 है।
साथ ही यह विधेयक किसी भी पंचायत सदस्य को एक साथ 2 पद संभालने की अनुमति नहीं देता है। कौशिक के मुताबिक यह एक सुधारवादी विधेयक है और इसे ज़मीनी निकायों में सुधार के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।
बता दें कि सदन में मंगलवार (जून 25, 2019) को यह बिल पेश होने के बाद, विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने इस विषय पर विधिक राय ली। बुधवार को विधायक केदार सिंह रावत ने संशोधन प्रस्ताव रखे, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया, इसके बाद संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ।