मुस्लिमों का मसीहा बनने का दिखावा करने वाले पाकिस्तान (Pakistan) को अक्सर भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार की झूठी बयानबाजी करते देखा गया है। लेकिन यही पाकिस्तान चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों (Uighur Muslims Repression) के दमन में चीन (China) का समर्थन कर रहा है। उसने उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों को बुरी तरह से कुचले जाने पर चुप्पी साध रखी है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा स्थित थिंक टैंक अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय फोरम (IFFRAS) ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। इसमें कहा गया है कि चीन की आर्थिक वृद्धि और विशेष रूप से ‘चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC)’ में अपने निवेश के कारण पाकिस्तान में बढ़ती उपस्थिति ने बीजिंग को मानव अधिकारों के उल्लंघन और शिनजियांग में उइगर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न सहित देश में ‘अंतरराष्ट्रीय दमन’ करने का एक बड़ा अवसर दे दिया है।
खास बात ये है कि चीनी अधिकारियों ने 26 ब्लैक लिस्टेड देशों की शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र (XAR) सूची में पाकिस्तान को शामिल किया था। थिंक टैंक के मुताबिक, ब्लैकलिस्टेड देशों में किसी के साथ संपर्क या दौरा या पारिवारिक संबंध या कोई संवाद रखता रखता है तो उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे लोग XAR अधिकारियों के रडार में रहेंगे।
दिलचस्प बात यह है कि इसी तरह पाकिस्तान में एक घटना में सिकंदर हयात और गुलाम दुर्रानी की बीवियाँ उइगर थीं, इसलिए उन्हें अलग कर दिया गया और इसके बाद XAR में जाते वक्त चीनी अधिकारियों ने पकड़ लिया। इसके बाद हयात का बेटा अपनी माँ से मिलने के लिए शिनजियांग गया था, लेकिन वो दो साल तक उससे मिल ही नहीं पाया। वहीं दुर्रानी की पत्नी को 2017 से ही हिरासत में रखा गया है।
पाकिस्तान कितना मुस्लिमों की परवाह करता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक मामले में पाकिस्तानी सुरक्षबलों ने 14 उइगर इस्लामी छात्रों को केवल इसलिए चीन को सौंप दिया, क्योंकि उन्हें शक था कि हो सकता है कि ये चीन में आतंकी घोषित किए गए हों। इन उइगरों को चीन को सौंपने के बाद चीनी सेना ने उनकी हत्या कर दी थी।
उइगर मुस्लिमों के दमन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर उठती रही है आवाज
भले ही पाकिस्तान चीन में उइगर मुस्लिमों के दमन में चीन का समर्थन करता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे बर्ताव पर मुखर रहा है। इसी क्रम फ्रांस ने गुरुवार (20 जनवरी 2022) को उइगर मुस्लिमों के साथ मानवाधिकार के मुद्दों पर चिंता जताते हुए उसे समुदाय विशेष का नरसंहार करार दिया और इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। इस पर चीन भड़का हुआ है।
पाकिस्तान के दोगले रवैये को इस तरह से समझा जा सकता है कि 2014 तक लगभग 60 उइगरों को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा निर्वासित या कैद किया गया था। उरुमची में अशांति के बाद बड़ी संख्या में उइगरों ने चीन से पाकिस्तान के रास्ते तुर्की जाने की कोशिश की थी। हालाँकि, पाकिस्तानी अधिकारियों ने इन्हें पकड़ कर बाहर कर दिया था। एक उदाहरण में पाँच निर्दोष उइगरों को 2010 में बलूचिस्तान से चीन भेजा गया था ये जानते हुए कि उनका आतंकवादियों से कोई लेना देना नहीं था।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने उइगर होने के कारण मौलवी का किया अपहरण
इसी तरह की एक घटना पाकिस्तान में पिछले साल 7 मई 2021 को घटी जब उइगर मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने के कारण पाकिस्तान में अधिकारियों ने एक इस्लामिक मौलवी का ही अपहरण कर लिया। गिरफ्तार किए गए मौलवी के भाई अब्दुल वली ने द डिप्लोमैट को बताया कि उनके भाई पर पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट से जुड़े होने का आरोप लगाया गया था। ये एक आतंकवादी संगठन है। वली कहते हैं कि वो शिनजियांग प्रांत के रहने वाले थे। लेकिन जब 1960 के दशक में चीन ने उइगर मुस्लिमों के इस्लाम का पालन करने पर रोक लगाना शुरू किया था तभी उनके पिता वहाँ से पाकिस्तान आ गए थे।
वली अपने भाई के आतंकियों से संबंध को खारिज करते हुए कहते हैं कि उनके भाई ने कभी अपने जीवन में बंदूक नहीं पकड़ी। वो इस्लामिक उपदेशक है और दुनिया को उसके साथ जो हुआ उसके बारे में बताता है। उइगर होने के कारण उसे पकड़ा गया।