कुवैत की सरकार ने योग से जुड़े एक कार्यक्रम को रद्द कर दिया, जिसके बाद बड़ी संख्या में महिलाएँ इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ सड़क पर उतर गई हैं। शेखों द्वारा शासित इस क्षेत्र में महिलाएँ अपने अधिकारों के लिए एक प्रकार का सांस्कृतिक युद्ध लड़ रही हैं। हाल ही में एक योग शिक्षक ने महिलाओं के लिए योग से जुड़े एक कार्यक्रम का विज्ञापन दिया, जिसके बाद यहाँ के मुल्ला-मौलवी इसे इस्लाम का अपमान बता रहे हैं। इसके बाद सरकार ने इस ‘योग रिट्रीट’ को प्रतिबंधित कर डाला।
पद्मासन और श्वानासन जैसी मुद्राओं को यहाँ के लोग इस्लाम के लिए खतरनाक बता रहे हैं। रेगिस्तान में योग शिविर का कार्यक्रम रद्द होने के बाद महिलाओं में आक्रोश है। कुवैत ने नेताओं ने भी मुल्ला-मौलवियों के डर से इसके खिलाफ बयान दिए। इस इस्लामी मुल्क में पुरुषों का वर्चस्व है। यहाँ के कट्टरपंथी कह रहे हैं कि महिलाएँ ये सब कर के देश की संस्कृति पर हमला बोल रही हैं। कुवैत में महिला अधिकारों की एक्टिविस्ट नजीबा हयात का कहना है कि कट्टरपंथियों की इन हरकतों से मुल्क पीछे जा रहा है।
कुवैत के संसद के बाहर जिन महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया, उसमें मुख्य नामों में वो भी शामिल थीं। कुवैत में महिलाओं को ज्यादा अधिकार ही नहीं दिए गए हैं। सऊदी अरब और ईराक जैसे कट्टर इस्लामी मुल्कों की महिलाओं के पास भी कुवैत से ज्यादा अधिकार हैं। जनवरी 2022 में सऊदी अरब में पहली बार ‘ओपन एयर योग फेस्टिवल’ आयोजित हुआ था। एबालिश 153 नाम के संगठन की संस्थापक अलानौद अलशारेख का कहना है कि महिलाएँ यहाँ पहले से ही नाराज़ हैं।
#yoga #kuwait_massage
— Dainik Jagran (@JagranNews) February 21, 2022
योग को लेकर कुवैत में रूढ़िवादी और कट्टरपंथियों के खिलाफ खड़ी हुई महिलाएं, कहा- लंबे समय से भरा था गुबारhttps://t.co/HlqdFPIrGw
कुवैत में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर तो समान ही दंड है, लेकिन महिलाओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर कड़ी सज़ा मिलती है। यहाँ के अनुच्छेद-153 में कहा गया है कि अगर किसी महिला की हाय इसलिए की जाती है कि उसके किसी अन्य पुरुष के साथ अवैध संबंध है तो दोषी को अधिकतम तीन साल की कैद और 46 डॉलर (3426.54 रुपए) का जुर्माना चुकाना होगा। इसे हटाए जाने के बाद मुल्ला-मौलवियों के दबाव में फिर से लागू कर दिया गया था।