दिल्ली दंगों में साजिश रचने के मामले में आरोपित मोहम्मद सलीम खान को दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार (22 मार्च, 2022) को जमानत देने से इनकार कर दिया।
BREAKING: Md. Saleem Khan, accused in the Delhi Riots larger conspiracy case denied bail by a Delhi Court
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कोर्ट ने गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा कि खान चाँद बाग विरोध स्थल के आयोजकों में से एक था, जहाँ भड़काऊ भाषण दिए गए थे। अदालत ने कहा कि उसने दिल्ली में यातायात को बाधित करने (चक्का जाम) की कोशिश की और 23 जगहों पर योजनाबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन करने की साजिश रची।
After examining the contents of the chargesheet, the Court has held that “There was a premeditated conspiracy of the disruptive chakka jam and a pre-planned protest at 23 sites in Delhi..”#DelhiRiots
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कोर्ट ने कहा कि उसका इरादा यातायात की आवाजाही को बाधित करना था जिसके परिणामस्वरूप उत्तर-पूर्वी दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए आवश्यक सेवाएँ बाधित हुई। उसने विभिन्न तरीकों से हिंसा करने की साजिश रची, जिसके कारण फरवरी 2020 के दिल्ली दंगे हुए। कोर्ट ने कहा कि इस एरिया को पूरी तरह से घेरने की योजना थी ताकि इस क्षेत्र से लोगों के प्रवेश करने और निकलने से पूरी तरह से रोका जा सके।
कोर्ट ने कहा, “टारगेट था … पूरे क्षेत्र को नागरिकों के आने और जाने को पूरी तरह से रोकना … और फिर महिला प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया। इससे क्षेत्र में दंगा भड़क गया।” अदालत के मुताबिक यह ‘आतंकवादी अधिनियम’ (Terrorist Act) के अंतर्गत आएगी।
It held that, “The target was to…encircle the entire area completely stopping the entry and exit of citizens…and then creating panic to attack on police personnel by women protesters in front only followed by other ordinary people and engulfing the area into a riot…”
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साथ ही कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से हथियारों का इस्तेमाल हुआ और हमले हुए, उससे साफ था कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी। आदेश में कहा गया है, “ऐसे कार्य जो भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करते हैं और सांप्रदायिक सद्भाव में टकराव पैदा करते हैं, किसी भी वर्ग में आतंक पैदा करते हैं, उन्हें हिंसा में घिरा हुआ महसूस कराते हैं, वह भी एक आतंकवादी एक्ट है।”
Perusing CCTV footages, the Court held, “The footages filed by the prosecution does show a concerted and premeditated effort of mobilization of rioters who are armed and who ultimately blocked the Main Wazirabad road and attacked police personnel in the most brutal manner.”
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सीसीटीवी फुटेज का उल्लेख करते हुए, कोर्ट ने कहा, “अभियोजन द्वारा दायर किए गए फुटेज में दंगाइयों को इकट्ठा करने का एक ठोस और पूर्व नियोजित प्रयास दिखता है। उनके हाथ में हथियार हैं। उन्होंने मुख्य वजीराबाद मार्ग को ब्लॉक कर दिया और बेहद ही क्रूर तरीके से पुलिसकर्मियों पर हमला किया।”
सलीम खान दिल्ली दंगों में भीड़ का हिस्सा था
दिल्ली दंगों में सलीम खान की भूमिका के बारे में बात करते हुए, दिल्ली कोर्ट ने उल्लेख किया कि खान को भीड़ का हिस्सा पाया गया था। कोर्ट ने कहा कि वह 24 फरवरी, 2020 को भीड़ में मौजूद था। भीड़ के पास पत्थर, डंडे, तलवारें और डंडे थे।
Khan was found to be in the mob on Feb 24, 2020, which had stones, dandas, swords and rods with them.
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कोर्ट ने एक गवाह का हवाला दिया, जो चाँद बाग विरोध स्थल के पास रहता था। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सलीम खान चाँद बाग में 15 जनवरी, 2020 के आसपास शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के आयोजकों में से एक था। उसने आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को भी धरना स्थल पर जाकर पैसे बाँटते देखा। हुसैन ने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों से कहा, “यह पैसा हमारे कौम की मदद के लिए आएगा।”
On Saleem’s role, the Court noted a witness’ statement that in Chand Bagh around Jan 15, 2020 when protest against CAA-NRC started near his house, Saleem Khan was one of those who started it. The witness also saw Councilor Tahir Hussain visiting to give money for the same.
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एक अन्य गवाह का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि साजिशकर्ताओं ने लोगों को धर्म के आधार पर सरकार के खिलाफ भड़काया। गवाह के मुताबिक, साजिशकर्ता ने लोगों से कहा था, “भाषणों की सामग्री अन्य बातों के साथ-साथ यह होगी कि सरकार को सीएए/एनआरसी को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और इसके लिए हिंसा और चक्काजाम का इस्तेमाल करना होगा।”
According to the witness, “The content of speeches would inter alia be that
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government will have to be compelled to withdraw CAA/NRC and for this,
Kl violence and chakkajam has to be used.”
इसके अलावा, मुख्य वजीराबाद रोड पर, हेड कांस्टेबल रतन लाल, पुलिस उपायुक्त (शाहदरा), और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) गोकुल पुरी पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया। एसीपी और डीएसपी गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि रतन लाल की बेरहमी से हत्या कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि सलीम खान दंगाइयों के बीच मौजूद था और बाद में उसकी पहचान की गई।
Saleem Khan was identified as one among those present there for violence and where violence was used on policemen and common people. #DelhiRiots
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खान ने एक भाषण में कहा था, “जब तक सरकारी अधिकारी और काफिर नहीं मारे जाते, यह सरकार सीएए/एनआरसी वापस नहीं लेगी।”