हिन्दू पक्ष ने एक बार फिर से वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी विभेदित ढाँचे के भीतर जाकर वीडियो सर्वे जारी रखने की माँग अदालत से की है। माँ श्रृंगार गौरी की पूजा-अर्चना से जुड़े इस मामले को लेकर पहले खबर आ रही थी कि हिन्दू पक्ष ने मामला वापस लेने का मन बना लिया है, लेकिन अब केस दायर करने वाली पाँचों महिलाओं ने साफ़ कर दिया है कि वो ये केस लड़ती रहेंगी। मस्जिद कमिटी को अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर पर आपत्ति है।
मस्जिद कमिटी का कहना है कि एडवोकेट कमिश्नर निष्पक्ष तरीके से काम करने की बजाए एक पार्टी की तरह काम कर रहे हैं। एडवोकेट कमिश्नर का पक्ष सुनने का बाद अदालत फैसला सुनाएगी। मुस्लिम पक्ष उन्हें बदलने की माँग कर रहा है। वादिनी राखी सिंह ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अन्य चार महिलाओं की तरह वो भी अपना केस वापस नहीं लेंगी। उनके अधिवक्ता शिवम गौड़ ने भी दीवानी कचहरी में इस बात को स्पष्ट किया है।
उधर ‘सनातन वैदिक संस्था’ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन ने भी नया बयान जारी करते हुए केस वापस लेने की बात से इनकार किया है। बिसेन ने वाराणसी में मीडिया पर उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसी ने गलत अफवाह फैला दिया। हालाँकि, 24 घंटे तक उनसे किसी का संपर्क न हो पाने और मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ रहने पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। इससे पहले मुस्लिम भीड़ ने उपद्रव कर के सर्वे का काम रुकवा दिया था।
#Varanasi : ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने वाली टीम में शामिल कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मुस्लिम समुदाय की याचिका पर कल कोर्ट में सुनवाई होगी@myogiadityanath #gyaanvapi #masjid pic.twitter.com/MDXa4EY6D3
— ZEE Rajasthan (@zeerajasthan_) May 9, 2022
उधर संगम नगरी प्रयागराज में ‘विश्व हिन्दू परिषद (VHP)’ की एक बैठक हुई, जिसमें संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने कहा कि राम मंदिर के बाद ज्ञानवापी मामले पर विहिप की पूरी नजर है। उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम का सूक्ष्म अवलोकन किया जा रहा है। हालाँकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि इसका हल ही अयोध्या की तरह ही संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से निकलेगा। उन्होंने कहा कि ‘ज्ञानवापी’ नाम ही सनातन परंपरा का द्योतक है और विवादित ढाँचे की दीवारों पर हिन्दू प्रतीक चिह्न हैं।