नन के बलात्कार के आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल को वेटिकन सिटी ने पादरी की ड्यूटी वापस निभाने की अनुमति दे दी है। बताया जा रहा है कि केरल के एक न्यायालय द्वारा उसे निर्दोष साबित करते हुए बरी किए जाने के बाद वेटिकन ने उसे ‘Pastoral Duties’ में वापस लौटने की अनुमति दे दी है। सितंबर 2018 में उसे अस्थायी रूप से इन ड्यूटीज से हटाया गया था। केरल पुलिस ने उससे पूछताछ की थी, जिसके बाद पोप फ्रांसिस ने ये निर्णय लिया था।
बता दें कि ईसाई मजहब में चर्च और पादरियों का सूबा बाँटा हुआ होता है, जिसे वो ‘Diocese’ कहते हैं। शनिवार (11 जून, 2022) को जालंधर डायसिस के दौरे पर आए आर्कबिशप लेओपोल्डो गिरेल्ली (भारत-नेपाल में वेटिकन के ‘राजदूत’, जिसे Apostolic Nuncio कहा जाता है) ने उत्तर भारत के पादरियों से कहा कि वेटिकन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर न्यायपालिका के फैसले को स्वीकार कर लिया है। पादरियों के एक सवाल पर उन्होंने ऐसा कहा।
उनसे पूछा गया था कि क्या बिशप फ्रैंको मुलक्कल फिर से जालंधर डायसिस में सेवा देने के लिए लौट सकते हैं या नहीं। PTI की सूत्रों की मानें तो इस पर आर्कबिशप ने कहा कि बिशप फ्रैंको मुलक्कल सीधे पोप के कमांड में हैं और उनकी जिम्मेदारी तय करने का अधिकार अब ‘Holy See (रोम)’ के पास है। बता दें कि 4 महीने पहले केरल के कोट्टायम के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को ये कहते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ उचित सबूत पेश करने में विफल रहा।
Decks have been cleared for former Jalandhar Bishop Franco Mulakkal’s return to the pastoral duties, as the Vatican has accepted a Kerala court’s decision, acquitting him of rape charges by a nun.https://t.co/SJupLbkh3A
— Hindustan Times (@htTweets) June 12, 2022
पीड़ित नन ने अब 57 वर्षीय पादरी के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। 2014-2016 के बीच उन्होंने कई बार कोट्टायम की यात्रा की थी और नन का आरोप है कि इसी दौरान उन्होंने कई बार उसका बलात्कार किया। केरल की राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील में कहा है कि पीड़िता द्वारा दिए गए सबूत, कई गवाहों के बयानों और सबूतों से पुष्टि होती है कि नन के साथ बिशप फ्रैंको मुलक्कल ने अप्राकृतिक अपराध और बलात्कार किया था।