सावन के इस पावन महीने में शिवमय हुए हिन्दुस्तान में भगवान शिव की महिमा की गूँज हर तरफ़ है। सड़कों पर काँवड़ ले जाते शिवभक्तों की लंबी कतार आसानी से देखी जा सकती है। देशभर में काँवड़ियों द्वारा काँवड़-यात्रा निकाली जा रही है। बड़ी संख्या में भक्त लोग काँवड़ में जल भर कर हरिद्वार से अपने गंतव्य पहुँच रहे हैं। लेकिन, पानीपत के चार बेटे अपने माता-पिता को काँवड़ में बिठाकर उत्तराखंड के हरिद्वार से शामली पहुँचे हैं।
Shamli: Four brothers from Haryana’s Panipat, participating in ‘kanwar yatra’ reached Shamli today from Uttarakhand’s Haridwar by carrying their parents in two baskets, tied to each end of a bamboo pole. They say, “There were two brother last time, this time we are all four.” pic.twitter.com/VjvOLTueJa
— ANI UP (@ANINewsUP) July 28, 2019
माता-पिता को काँवड़ में बिठाकर हरिद्वार से लाने पर बेटों ने बताया कि पिछले साल केवल दो भाईयों ने यह यात्रा पूरी की थी, लेकिन इस बार हम चारों भाई काँवड़ यात्रा लेकर जा रहे हैं। बाँस के खंभे के दोनों तरफ़ बैठने के लिए स्थान बनाया गया है, उसी में माता-पिता को बैठाने लायक जगह है। थोड़ी-थोड़ी दूर पर चारों भाई मिलकर माता-पिता को बिठाकर काँवड़ लिए चलते जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर चारों भाईयों और उनके माता-पिता की फ़ोटो वायरल तो हो ही रही है साथ ही ख़ूब तारीफ़ भी हो रही है। बता दें कि काँवड़ यात्रा हर साल सावन के महीने में होती है। हरिद्वार से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जल भरकर अपने गंतव्य स्थान पर भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं।
आज के युग में जहाँ ऐसे कई मामले सामने आते हैं कि लोग अपने माता-पिता को घर से बाहर कर देते हैं और बुज़ुर्ग होने पर उन्हें वृद्धाश्रम तक पहुँचा आते हैं, वहीं पानीपत के ये भाई आज के युग में श्रवण कुमार के रूप में सामने आए हैं। माता-पिता की इच्छा को पलकों पर सजाकर की गई यह काँवड़ यात्रा निश्चित तौर पर समाज पर एक अच्छा प्रभाव छोड़ेगी।