Sunday, April 28, 2024
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छात्रों को सेना में अधिकारी बनाने के लिए ‘आर्मी स्कूल’ खोलेगा संघ, यह है पूरी योजना

विद्या भारती उच्च शिक्षा संगठन के क्षेत्रीय संयोजक अजय गोयल ने कहा, "यह एक प्रयोग है जो देश में पहली बार हो रहा है। अगर यह सफ़ल रहा तो इसे देश के कई स्थानों पर दोहराया जा सकता है।"

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर प्रदेश में डिफेन्स परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष स्कूल खोलेगा। संघ के शैक्षिक अंग विद्या भारती के तत्वाधान में खोले जाएँगे। इस स्कूल का नाम पूर्व सरसंघचालक राजेंद्र सिंह के नाम पर ‘रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर’ रखा जाएगा।

पूर्व-सैनिक ने दी ज़मीन

भूतपूर्व सैनिक और बुलन्दशहर के किसान राजपाल सिंह ने इस स्कूल के लिए संघ को 20,000 स्क्वायर मीटर की अपनी ज़मीन दान की है। इस ज़मीन को एक ट्रस्ट, राजपाल सिंह जनकल्याण सेवा समिति, को सुपुर्द की गई है। इस स्कूल की इमारत में तीन-मंजिला हॉस्टल, अकादमिक बिल्डिंग, दवाखाना, स्टाफ सदस्यों के लिए रिहायशी विंग और एक बड़ा स्टेडियम होंगे। प्रोजेक्ट का कुल लागत ₹40 करोड़ होगा।

यह स्कूल आवासीय प्रकार का होगा। लड़कों वाले विंग का निर्माण पिछले अगस्त में ही शुरू हो चुका है। सीबीएसई पाठ्यक्रम का पालन करने वाले इस स्कूल में छठी से बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई होगी। बकौल पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में विद्या भारती उच्च शिक्षा संगठन के क्षेत्रीय संयोजक अजय गोयल, “यह एक प्रयोग है जो देश में पहली बार हो रहा है। अगर यह सफ़ल रहा तो इसे देश के कई स्थानों पर दोहराया जा सकता है।”

वीरगति प्राप्त जवानों के बच्चों के लिए आरक्षण

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पहले बैच के लिए विवरण पुस्तिका (प्रोस्पेक्टस) लगभग तैयार है और अगले महीने से स्कूल में भर्ती के लिए आवेदनपत्र स्वीकार होने लगेंगे। गोयल के अनुसार छठी कक्षा के पहले बैच में 160 छात्र होंगे। वीरगति को प्राप्त जवानों के बच्चों के लिए 56 सीटें (35%) आरक्षित होंगी।

पूर्व सैन्य अधिकारी देंगे सुझाव

इसके अतिरिक्त संघ सितंबर में सेवानिवृत्त अफसरों में मिल कर इस स्कूल को बेहतर बनाने के लिए सुझाव लेगा। गोयल के अनुसार कई सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी संघ और अनुषांगिक संगठनों के सम्पर्क में हैं। मीटिंग की तारीख हफ्ते भर में निर्धारित हो जाएगी। विवरण पुस्तिका के अनुसार देश में सैन्य अफसरों की न्यूनतम अर्हता पूरी करने वाले युवाओं की कमी के चलते सेनाएँ जनबल की कमी से जूझ रहीं हैं। यहाँ तक कि सैनिक स्कूलों का नेटवर्क भी आवश्यकता पूरी नहीं कर पा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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