राजस्थान के उदयपुर में सिर कलम किए जाने की जघन्य वारदात के तार अब कट्टरपंथी इस्लामी संगठन SDPI से जुड़ रहे हैं। बता दें कि ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ एक राजनीतिक मोर्चा है, जो कि PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) नामक कट्टरवादी संगठन को संरक्षण प्रदान करता है। उदयपुर वाले मामले में सातवें आरोपित फरहाद मोहम्मद उर्फ़ बाबला को गिरफ्तार किया गया है। PFI ने नूपुर शर्मा के खिलाफ रैली भी की थी।
आशंका जताई जा रही है कि 20 जून, 2022 को नूपुर शर्मा के बयान के खिलाफ निकाली गई एक PFI की रैली के दौरान कन्हैया लाल तेली की हत्या की साजिश रची गई थी। उदयपुर हत्याकांड के मुख्य आरोपित रियाज 2019 में ही SDPI में शामिल हो गया था। इतना ही नहीं, वो इस संगठन का सक्रिय सदस्य भी था। पूछताछ में आरोपित बाबला ने भी कबूल किया है कि वो SDPI और PFI जैसे संगठनों से जुड़ा हुआ है।
उदयपुर के साथ-साथ अमरावती में भी ऐसी ही घटना हुई थी, जहाँ केमिस्ट उमेश कोल्हे को इस्लामी कट्टरपंथियों ने नूपुर शर्मा के समर्थन का आरोप लगा कर मार डाला। दोनों ही मामलों में आरोपितों के पास के जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खँगाल कर उनके विदेशी कनेक्शंस की जाँच की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अमरावती की घटना के भी तार SDPI-PFI से जुड़ रहे हैं। इस संगठन में पूर्व सिमी (प्रतिबंधित संगठन) कैडर, एहले-हदीत (जिस पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन लशक-ए-तैय्यबा चलता है) और सलाफी विचारधारा के कट्टरपंथी हैं।
Investigations into Amravati and Udaipur ISIS-style killings by Islamists have thrown up a common link with accused having links with SDPI
— Hindustan Times (@htTweets) July 10, 2022
(Reports Shishir Gupta) https://t.co/ouXlwFjq7P
इससे पहले दिल्ली दंगों से लेकर कई इलाकों में हिन्दुओं पर हमले में SDPI-PFI के नाम सामने आ चुके हैं। कानपुर में हुए दंगों में भी इसी संगठन का नाम सामने आया था। RSS ने मुस्लिमों से अपील की है कि वो उदयपुर जैसी घटनाओं की खुल कर निंदा करें, क्योंकि इसे लेकर आक्रोश है। राजस्थान सरकार के मंत्री अशोक चांदना ने इस घटना के लिए फाँसी की सज़ा को भी कम बताया है। ईद-उल-अजहा के मौके पर उदयपुर में भारी पुलिस बल की तैनाती रही।