Sunday, November 24, 2024
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मिलिए 70 साल की ‘माँ कृष्णा बम’ से, शिव भक्ति में पाकिस्तान तक गईं: डाक बम बन 37 साल उस बाबा बैद्यनाथ को पूजा, जहाँ पहली बार पहुँचे PM

"1982 से मैंने सुल्तानगंज से जल लेकर डाक बम के रूप में काँवड़ लेकर देवघर जाना शुरू किया। यह सिलसिला कोरोना आने से पहले तक चलता रहा। "मैं 37 सालों तक बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करती रही।"

उनका नाम कृष्णा रानी है। उम्र 70 साल है। बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं। शिक्षिका रही हैं। लेकिन शिव भक्तों के लिए वह ‘माँ कृष्णा बम’ हैं। ऐसी डाक बम जो 37 साल तक सावन के हर सोमवार देवघर में बाबा बैद्यनाथ का अभिषेक करती रहीं। इस यात्रा पर ब्रेक तभी लगा जब वैश्विक कोरोना महामारी ने मंदिरों के पट तक बंद कर दिए।

दो साल बाद 14 जुलाई 2022 से शुरू हुई काँवड़ यात्रा को लेकर देशभर के काँवड़ियों में उत्साह देखा जा रहा है। कृष्णा बम भी उत्साहित हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार वे 16 जुलाई को नर्मदा ओंकारेश्वर से जल लेकर उज्जैन जाएँगी और महाकाल की पूजा करेंगी। इसके बाद देवघर में बाबा बैद्यनाथ की पूजा करेंगी।

देवघर के बाबा बैद्यनाथ के दरबार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल में ही हाजिरी लगाई है। वे ऐसा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। लेकिन, कृष्णा बम की यह यात्रा 1982 में शुरू हुई। वे इसी साल पहली बार डाक बम सुल्तानगंज से काँवड़ में गंगाजल लेकर बाबा बैद्यनाथ का अभिषेक करने निकलीं थी। उसके बाद कोरोना के आने तक यह सिलसिला कभी नहीं टूटा।

देवघर में बाबा बैद्यनाथ की पूजा करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो साभार: @narendramodi)

आपको बता दें कि डाक बम ऐसे काँवड़िए होते हैं जो एक बार यात्रा शुरू करने के बाद शिव का अभिषेक करने तक कहीं आराम नहीं करते। यात्रा में विराम लेने पर माना जाता है कि डाक बम का गंगाजल अपवित्र हो जाता है और उनकी संकल्प तथा यात्रा खंडित हो जाती है। सुल्तानगंज से देवघर की दूरी करीब 105 किलोमीटर है। कृष्णा बम अपने पैरों से इस दूरी को पूरे 37 साल तक सावन के हर सोमवार को नापती रहीं। इस यात्रा में उन्हें 12 से 14 घंटे लगते थे। इस दौरान पूरा रास्ता बोल बम और कृष्णा बम के घोष से गुँजायमान रहता था। उनके पैर छूने के लिए लोगों का खड़ा होना सामान्य बात होती थी।

जानिए डाक बम कृष्णा को

कृष्णा रानी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के चकवासु की रहने वाली हैं। उनका जन्म वैशाली में हुआ। वह तीन बहन और एक भाई हैं। पाँच नाती-पोतों से भरा-पूरा उनका परिवार है। शादी के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई की और 1967 में मैट्रिक पास किया। इसके बाद उन्होंने अपनी आगे पढ़ाई जारी रखी और पॉलिटिकल साइंस से बीए करने के बाद टीचर की नौकरी करने लगीं।

डाक बम के तौर पर अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने बताया, “डाक बम के रूप में मैं काँवड़ लेकर 1975 में पहली बार पहलेजा से गरीबनाथ पहुँची। 12 घंटे में मैंने 75 किमी की दूरी तय की। 1975 से 1982 तक लगातार सात साल तक मैं पैदल बाबा गरीबनाथ को जल चढ़ाती रही। इसके बाद 1982 से मैंने सुल्तानगंज से जल लेकर डाक बम के रूप में काँवड़ लेकर देवघर जाना शुरू किया। यह सिलसिला कोरोना आने से पहले तक चलता रहा।”

कृष्णा ने बताया, “मैं 37 सालों तक बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करती रही। इस तरह मैंने 160 सोमवार तक बाबा का जलाभिषेक किया है। इस दौरान मैंने कुल 17600 किमी की दूरी तय की।” इसके अलावा 1989 में उन्होंने गंगोत्री से रामेश्वरम 4500 किमी पैदल यात्रा भी तय की थी। 2014 में वह कैलाश मानसरोवर गईं।

यहाँ तक कि शिव भक्ति में पाकिस्तान में स्थित कटास राज तक गईं। अपनी इस यात्रा के बारे में वे कहती हैं, “जब मुझे कटास राज के बारे में पता चला तो मैंने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया। मैंने आवेदन किया और मेरा सेलेक्शन हो गया। कुछ ही लोगों को दिसंबर 2018 में पाकिस्तान ले जाया गया था, जिसमें मैं भी थी। कटास राज धाम लाहौर से 280 किमी दूर है। वह ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल है।”

खास बात यह है कि कृष्णा महादेव के साथ माँ दुर्गा की भी आराधना करती रही हैं। उन्होंने साइकिल से 11 बार वैष्णो देवी की यात्रा की है। वह पति नंद किशोर के साथ साइकिल चलाकर 11 बार मुजफ्फरपुर से कटरा गई हैं। इसके अलावा वह मुजफ्फुरपुर से कामख्यादेवी भी साइकिल चलाकर गई हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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