देश की सुरक्षा में लगे हुए सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना सीमा पर चौबीसों घंटे पहरा देते हैं। इस दौरान, हर साल सैंकड़ों सैनिक कभी दुश्मन की गोली से तो कभी आतंकियों से मुठभेड़ में बलिदान हो जाते हैं। यही नहीं, कई बार सैनिकों का सामना प्रकृति से भी होता है। जहाँ सैनिक कभी भारी बर्फबारी तो कभी ग्लेशियर से खिसकने से बर्फ में दबकर बलिदान हो जाते हैं। कई बार तो बलिदानी परिवार के परिजनों को पार्थिव शरीर भी नहीं मिल पाता है।
ऐसा ही हुआ था, उत्तराखंड के हल्द्वानी में रह रहे एक परिवार के साथ जिन्हें बलिदानी लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला के पार्थिव शरीर का इंतजार बीते 38 वर्षों से था, वह अपने पीछे पत्नी शांति देवी और दो मासूम बेटियों को छोड़ गए थे। चन्द्रशेखर जब बलिदान हुए तब उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी। पति के बलिदान के बाद शांति देवी ने माँ और पिता दोनों की भूमिका निभाते हुए दोनों बेटियों का पालन पोषण किया।
चन्द्रशेखर हर्बोला भारतीय सेना के सबसे सफल ऑपरेशन में से एक ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot) के सदस्य थे। दरअसल, साल 1984 में सियाचिन ग्लेशियर को हासिल करने के उद्देश्य से भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत लांच किया था। ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत की वजह पाकिस्तान की नापाक हरकतें थीं।
दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1972 में शिमला समझौता (Simla Agreement) हुआ था जिसके अनुसार दोनों देशों की सेनाएँ वापस लौट जाएँगी। लेकिन, पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जा करना चाहता था। इस दौरान भारत और पाकिस्तान की सेना आमने-सामने थीं। 19 कुमाऊँ रेजिमेंट के लांस नायक चंद्रशेखर और उनकी टीम को पॉइंट 5965 पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस टीम ने पॉइंट 5965 पर कब्जा तो कर लिया लेकिन भारतीय सेना ने अपने 18 वीर जवान खो दिए थे।
सेना के जवानों की इस बलिदान को लेकर अधिकारी ने बताया कि सेना रात को रुकते समय हिमस्खलन की चपेट में आ गई थी। जिसमें एक अधिकारी सेकंड लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर सहित भारतीय सेना के 18 जवान बलिदान हो गए थे। इस दुर्घटना में 14 सैनिकों के शव मिले थे जबकि 5 अन्य लापता थे।
हालाँकि, अब उन 5 लापता सैनिकों में से एक बलिदानी चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर 13 अगस्त को सियाचिन में 16,000 फीट से अधिक ऊँचाई पर एक पुराने बंकर के अंदर मिला है। उनके शव के साथ सेना के नंबर वाली एक डिस्क भी मिली जिससे शव की पहचान हो सकी है।
परिजनों ने कहा है कि अभी तक उन्हें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार लांस नायक चन्द्रशेखर हर्बोला की पार्थिव देह अब भी सुरक्षित अवस्था में है। सियाचिन में बर्फ में दबे होने के कारण पार्थिव देह को अधिक नुकसान नहीं हुआ है।
बलिदानी चन्द्रशेखर की पत्नी शांति देवी ने मीडिया को बताया है कि बीते 38 साल में हर रोज उन्हें ऐसा लगता था कि कभी न भी उनके पति को लेकर खबर जरूर आएगी और आखिकार अब उन्हें खबर मिल ही गई है। फिलहाल बलिदानी चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर हल्द्वानी लाया जाएगा। इसके बाद पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।